एक दिवसीय सीआरई कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने साझा किए नवाचारी दृष्टिकोण

रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू के सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज़ (सीडीएस) द्वारा असेसमेंट एंड एविडेंस-बेस्ड इंटरवेंशन फॉर लर्निंग डिसेबिलिटी विषय पर एक दिवसीय कंटीन्यूइंग रिहैबिलिटेशन एजुकेशन (सीआरई) कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस.सी. मलिक ने किया। उन्होंने कहा कि विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा केवल संवेदना का नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विषय है। हमें इन बच्चों के विकास के लिए साक्ष्य-आधारित शिक्षण पद्धतियों को अपनाना होगा ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा के प्रसार के लिए शिक्षकों, अभिभावकों और विशेषज्ञों को एक साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ए.डी. पासवान, (निदेशक, सिरतार) ने शिरकत की। सीडीएस निदेशिका प्रो. प्रतिमा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि साक्ष्य-आधारित शिक्षण विधियां बच्चों की वास्तविक आवश्यकताओं को समझने और प्रभावी हस्तक्षेप की दिशा तय करने में अत्यंत सहायक हैं। आयोजन सचिव डॉ. कपिल मल्होत्रा ने कार्यक्रम संचालन किया। तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों प्रो. रोशन लाल, डॉ. आशा रानी और डॉ. कर्मवीर सिंह ने अपने अनुभवों, शोध-आधारित निष्कर्षों और व्यावहारिक दृष्टिकोण को साझा किया।
कार्यक्रम का समापन एक संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास और शिक्षण-पुनर्वास पेशेवरों की दक्षता को सुदृढ़ करने पर विचार-विमर्श किया।