समाचार विश्लेषण/बड़े चौटाला, हरियाणा और राजनीति 

समाचार विश्लेषण/बड़े चौटाला, हरियाणा और राजनीति 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
बड़े चौटाला यानी पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला तिहाड़ जेल से रिहा होने जा रहे हैं । इनके इतने साल बाद रिहा होने से हरियाणा की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? कुछ बदलाव आयेगा क्या ? चौटाला के साथ मेरा एक पत्रकार के रूप में मिलना मिलाना रहा । नया नया हिसार आया था और ये दलबदल से अपनी सरकार बनाने में सफल रहे । पर इन्होंने उन दलबदलुओं पर भरोसा नहीं किया और विधानसभा चुनाव की सिफारिश जल्द ही कर दी । चुनावों में उन दलबदलुओं को टिकट भी नहीं दिये । यानी उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा । इनमें जींद के विधायक मांगे राम गुप्ता की मुझे याद है । यह कदम मुझे बहुत अच्छा लगा और लगता आ रहा है । दलबदलुओं की यही सज़ा होनी चाहिए । फिर हरियाणा भर में खुले दरबार लगाने शुरू किये । तब लोकसभा चुनाव में इनेलो को मनमुताबिक जीत नहीं मिली थी ।बरवाला की अनाज मंडी के शेड के नीचे खुला दरबार था । किसी गांव के पांच लोग आए और अपने गांव के विकास के लिए सरकारी अनुदान मांगा । एकदम गुस्से में आए बड़े चौटाला और उनके कागज़ उनके सामने फेंक कर बोले-पांच वोट ही रह गये आपके गांव में ? पचास लाख की ग्रांट मांगने चले आए ? 

यह कैसा खुला दरबार था ? यह तो सरेआम अपमान था उन ग्रामीणों का और उस गांव का । बस । मैंने इनके खास आदमी को संदेश दिया कि जो पांच वोट पांच सौ में बदले जा सकते थे , उनकी जगह आज पांच वोट भी खोकर जा रहे हैं चौटाला जी । और भी खुले दरबार देखे । पर इनका गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था बल्कि हम पत्रकारों के सवाल पर भी नाराजगी जाहिर करने से संकोच न करते । फिर विधानसभा चुनाव भी हारे । जाट धर्मशाला आए और समाज के दो वर्गों पर गुस्सा निकाल कर कहा कि क्या नहीं किया इनके लिए मैंने ? मंत्री बनाये , कुलपति बनाये और यह सिला दिया मुझे ? भाषण देकर सीधे गाड़ी में बैठ गये। ।मीडिया से भी खफा थे। मैंने गाड़ी का शीशा खटखटाया । बोले -मीडिया से बात नहीं करनी मुझे । मैने कहा -इतने साल हो गये हरियाणा में आए और आपकी कवरेज करते तो क्या आपका दोस्त भी नहीं बन सका? थोड़ा मुस्कुराये और चल दिये । फिर इलाज के लिए अस्पताल रहे और ठीक होकर जब सिरसा जा रहे थे तब रात साढ़े नौ बजे फोन आया सेक्टर पंद्रह से राजेश गोदारा का कि चौटाला साहब याद कर रहे हैं। । मैं गया । तब तक प्रो सम्पत सिंह और पूर्ण सिंह डाबड़ा वहीं बैठे थे । राम रमी हुई और बोले-बात याद है आपको ? हम दोस्त हैं और इसी नाते बुला लिया पर मीडिया के लिए कुछ न पूछना । मैंने कह दिया-इससे मेरा क्या नुकसान होने वाला है ? आप नेता हैं और आपको मीडिया की जरूरत है । हमसे तो आप कुछ बात नहीं करोगे तो कल मान लो हुड्डा जी या विपक्षी कोई भी नेता आ जाता है तो हम उन्हें  महत्त्वपूर्ण कवरेज दे देंगे । पर वे नहीं माने। मैं हालचाल पूछ कर आ गया।  दूसरे दिन वे फतेहाबाद जाते समय रुके और प्रेस कान्फ्रेंस कर डाली । इस तरह शायद वे रात भर मेरी बात पर विचार करते रहे और मीडिया के सामने आने का फैसला किया । मेरा इतना ही कहना है कि बेशक सामने सुझाव नहीं माना लेकिन बाद में विचार किया और लागू कर दिया दूसरे दिन ही । मेरे साथ हर बार मज़ाक में कहते -पत्रकार महोदय आपको तो राज्यसभा भेजूंगा । मैं भी हंस कर कहता कि इससे मैं आपकी खबर अच्छी नहीं बनाऊंगा । यह लोभ न दीजिए । मुझे अपनी जगह मालूम है कि मैं कलम का सिपाही रहना पसंद करूंगा । इस तरह कुछ खट्टे , कुछ मीठे अनुभव हैं मेरे । कंडेला कांड इनके लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रहा और एक वर्ग ने फिर इनको सत्ता में लौटाया नहीं । बिजली बिल माफ करने और न रहेगा मीटर और न मीटर रीडर के नारे से भी नुकसान पहुंचा । 

अब जिस समय बड़े चौटाला छूट कर आ रहे हैं तो किसान आंदोलन चल रहा है।  इनके छोटे सुपुत्र अभय चौटाला इसके हक में विधानसभा से अपनी इस्तीफा दे चुके हैं ।।जाहिर है कि इनसे सलाह मशविरे के बाद ही यह कदम उठाया होगा । फिर एक बार पैरोल पर आने पर दुष्यंत व दिग्विजय पर ऐसा बरसे कि वे जजपा का गठन कर अलग हो गये।  शायद बहुत जल्दी में फैसला ले गये जिससे परिवार और पार्टी दोनों बंट कर रह गये । अब बेशक दुष्यंत व दिग्विजय ने इनका स्वागत् करते कहा कि हमने इनकी अंगुली पकड़ कर राजनीति में कदम रखा । पर क्या फिर इनकी अंगुली पकड़ेंगे ? इसकी उम्मीद कम ही है ।

इनेलो ने उत्साह में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बड़े चौटाला के खिलाफ साजिश कर जेल भिजवाने की बात मीडिया में उठानी शुरू कर दी है । उधर से जवाब आया है कि एक भी केस इनके खिलाफ हुड्डा के शासनकाल में दर्ज नहीं हुआ और सज़ा पहले से चल रहे केस में मिली। । पर यह भ्रम फैलाया जा रहा है जिससे सहानुभूति लहर बनाई जा सके। 

अब चौटाला आए है तो हरियाणा की राजनीति में कुछ तो बदलाव होगा ही ...