डॉ.सुनील कुमार ने लॉकडाउन को  गतिविधियों से श्रेष्ठ काल बनाया

डॉ.सुनील कुमार ने लॉकडाउन को  गतिविधियों से श्रेष्ठ काल बनाया
डॉ.सुनील कुमार।

'खुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तकदीर से पहले!
खुदा खुद बंदे से पूछे,बता तेरी रज़ा क्या है!!'

पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौर में जहां सामान्य जन-जीवन एक प्रकार से ठहर गया था, वहीं तमाम सार्वजनिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक गतिविधियों पर भी विराम लगा दिखाई दे रहा था।ऐसे दौर में स्थानीय साहित्यकारों, कलाकारों ने एकाकीपन व  सामाजिक दूरियों के इस समय का अपने सृजन व हुनर से खास सदुपयोग कर अपनी कर्मठता, जीवटता का परिचय दिया। इन्हीं में से एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिन्दी-विभाग में फैकल्टी डॉ.सुनील कुमार।बकौल डॉ.सुनील कुमार कोरोना संक्रमण के शुरुआती लॉकडाउन के दौर में पहले कुछ दिन तो काफी असमंजस के साथ गुजरे।इसे हम एक नया दौर ही नहीं बल्कि जीवन के एक नये अनुभव का नाम भी दे सकते हैं।ऐसे मुश्किल समय में जब हालात केवल राह देखने के बने थे तो डॉ.सुनील कुमार ने आगे बढ़कर राह दिखाने की ठानी। उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों का न केवल अध्ययन किया बल्कि उनकी समीक्षाएं भी लिखी‌।कई शोध-पत्र लिखे जो विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं व जर्नल्स में प्रकाशित हुए। सरकार व विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार विद्यार्थियों और शोधार्थियों के आनलाइन  शिक्षण को न केवल जारी रखा बल्कि उनका सतत मार्गदर्शन भी किया‌ ताकि कोविड के इस विकट दौर में विद्यार्थियों और शोधार्थियों की प्रतिभा और निखरकर सामने आ सके। उन्होंने न केवल खुद अनेक आनलाइन कार्यक्रमों में सक्रिय सहभागिता की बल्कि अनेक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वेब-संवादों का सफल आयोजन भी किया‌।उन्हें विश्वविद्यालय-प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय में ईओसी-पीडबल्यूडी की स्थापना और इसके काम-काज के सुचारू संचालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। जून, २०२० में नोडल अधिकारी के रूप में प्रभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया।माननीय उच्चतम न्यायालय, भारत सरकार, यूजीसी, पंजाब सरकार, सीसीपीडी और विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय में दिव्यांजनों के लिए बाधा मुक्त वातावरण का निर्माण करने, सुविधाएं प्रदान करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की दिशा में व्यापक स्तर पर उल्लेखनीय कार्य किए। ईओसी-पीडबल्यूडी,गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर और फुलकारी कैन के सौजन्य से सर्वाइकल कैंसर पर राष्ट्रीय वेब-संवाद(५ अक्तूबर,२०२०), विश्व विकलांगता दिवस(३ दिसंबर,२०२०) पर राष्ट्रीय वेब-संवाद का आयोजन किया।
विश्वविद्यालय के ड्रामा क्लब का प्रभारी होने के नाते थियेटर वालाहज के सौजन्य से दो आनलाइन थियेटर कार्यशालाएं-' लर्न थियेटर थ्रू आनलाइन परफॉर्मेंस(४ सितंबर,२०२०)' और 'कोविड के दौर में थियेटर(२५ सितंबर,२०२०)' आयोजित की‌। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  के अवसर पर ड्रामा क्लब द्वारा मार्च ०८, २०२१ को 'किताब' नाटक का मंचन किया गया जिसे ड्रामा क्लब के विद्यार्थियों द्वारा ही तैयार किया गया था‌। १२ मार्च,२०२१ को दिल्ली में आयोजित नाट्य उत्सव में ड्रामा क्लब के मिस्टर मुकुल को बेस्ट अभिनेता के रूप में चुना गया।२३ मार्च,२०२१ को शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में 'युवाओं का सकारात्मक विकास' विषय पर राष्ट्रीय वेब-संवाद आयोजित किया।जीएनडीयू परिसर में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए 'महफिल' का आयोजन भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है।'महफिल' व ड्रामा क्लब की गतिविधियों के आयोजन में विद्यार्थी गतिविधियां क्लब के कन्वीनर मिस्टर हरप्रीत सिंह का विशेष योगदान रहा है। ईओसी-पीडबल्यूडी और विश्व भाषा अकादमी,भारत के सौजन्य से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 'सशक्त महिला: सशक्त मानवता(०८ मार्च,२०२१)' पर राष्ट्रीय वेब-संवाद और ०८ फरवरी,२०२१ को 'विकलांगता विमर्श:दशा और दिशा' पर अंतरराष्ट्रीय वेब-संवाद का आयोजन किया।
कोविड के दौर पर लगभग ३५ राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय वेबिनारों में अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। तकरीबन १५ आनलाइन कार्यक्रमों में अपने व्याख्यान दिए। उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए साल २०२० में 'साक्षरता प्रहरी सम्मान',' सर्टिफिकेट आफ काइंडनेस','कोविड-१९ कोम्बाटंट','सर्टिफिकेट आफ डेडिकेशन','कलम विभूति सम्मान' से नवाजा गया‌। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के मुखपत्र'साहित्यांजलि प्रभा ( जनवरी,२०२१)'में 'एक विलक्षण व्यक्तित्व:डॉ.सुनील कुमार' फीचर प्रकाशित हुआ है।इसी प्रकार इनके बारे में राष्ट्रीय समाचार-पत्र दैनिक सवेरा में ०८ मार्च, २०२१ को 'इनसे है अमृतसर' कॉलम के अंतर्गत फीचर प्रकाशित हुआ है। इसी साल उन्हें विश्व भाषा अकादमी,पंजाब का महासचिव नियुक्त किया गया।विश्व संवाद परिषद द्वारा पंजाब प्रदेश का अवैतनिक अंबेसडर मनोनीत किया गया।अनेक संस्था-संस्थानों की सदस्यता मिली।इन्होंने कई विश्वविद्यालयों की एम.फिल. और पीएचडी. के शोध प्रबंधों का मू्ल्यांकन किया और मौखिकी परीक्षा भी ली।इनके शोध-पत्र 'मानवता के पुंज:श्री गुरु नानक देव' को अखिल भारतीय जनवादी लेखक संघ,पं बंगाल की पत्रिका 'शोध-सृजन' में विशिष्ट आलेख का दर्जा मिला। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक कमेटी का सदस्य भी नियुक्त किया गया है। डॉ.सुनील कुमार ने बताया कि प्रतिष्ठित गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जसपाल सिंह संधू के कुशल नेतृत्व और प्रेरणा से ही इन गतिविधियों का निरंतर आयोजन किया जा रहा है। डॉ.सुनील कुमार के लिए यह कहना उचित ही होगा-
'ये मत कहो खुदा से,मेरी मुश्किलें बड़ी हैं!
इन मुश्किलों से कह दो,मेरा खुदा बड़ा है!!'