डॉ. सीताराम व्यास ने युवा पीढ़ी से डॉ. मंगल सैन के जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया
एमडीयू में पूर्व उपमुख्यमंत्री की जयंती पर विशेष व्याख्यान आयोजित
रोहतक, गिरीश सैनी। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. मंगल सैन की 98वीं जयंती के अवसर पर एमडीयू के स्वराज सदन में डॉ. मंगल सैन शोध पीठ तथा संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में - डॉ. मंगल सैन: एक बहुआयामी व्यक्तित्व विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सीताराम व्यास ने बतौर मुख्य वक्ता ये व्याख्यान दिया। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अध्यक्षता की। कुलसचिव डॉ. कृष्णकांत विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
मुख्य वक्ता डॉ. सीताराम व्यास ने अपने संबोधन में डॉ. मंगल सैन के व्यक्तित्व को मूल्यनिष्ठ और बहुआयामी बताते हुए कहा कि उन्होंने स्वच्छ राजनीति, समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बताया कि डॉ. मंगल सैन ने सेवा और शिक्षा को अपना धर्म माना और सादगीपूर्ण जीवन जिया। रोहतक स्थित विवि का नाम महर्षि दयानंद विवि रखना भी उन्हीं की प्रेरणा थी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे डॉ. मंगल सैन के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं।
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि डॉ. मंगल सैन राजनीति में स्वच्छ छवि और आदर्शों के प्रतीक थे। उन्होंने सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई और वे युवा पीढ़ी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेंगे। कुलसचिव डॉ. कृष्णकांत ने कहा कि डॉ. मंगल सैन ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि डॉ. मंगल सैन जैसे नेताओं के विचारों को आत्मसात करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
प्रारंभ में कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मंगल सैन शोध पीठ के अध्यक्ष प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने स्वागत भाषण दिया और विषयवस्तु पर प्रकाश डाला। डॉ. रवि प्रभात ने मंच संचालन किया और संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीभगवान ने आभार प्रकट किया। इस दौरान भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री फणींद्र नाथ शर्मा, भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय बंसल, प्रो. नरेश मिश्र, प्रो. गुलशन लाल तनेजा, प्रो. जितेंद्र सिक्का, प्रो. राजीव कुमार, प्रो. हरीश कुमार, डॉ. सुषमा नारा, डॉ. मनोज कुमार सहित शिक्षक, शोधार्थी, संघ पदाधिकारी तथा संस्कृत और योग विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।
Girish Saini 

