दोआबा अकादमी ने हिंदी दिवस पर विचार चर्चा आयोजित की

फगवाड़ा: दोआबा साहित्य एवं कला अकादमी द्वारा गत दिवस डा.जवाहर धीर की अध्यक्षता में आर्य माडल सी.सै.स्कूल, गौशाला रोड में हिंदी दिवस पर एक विचार चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें सदस्यों ने हिंदी के महत्व और भारत में हिंदी की स्थिति पर बड़ी संजीदगी से विचार किया। विचार चर्चा का प्रारंभ करते हुए लेखक डा.जवाहर धीर ने कहा कि आज विश्व भर में इक्सठ करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं तथा दुनिया के अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जाती है,मगर वेद,पुराण, धार्मिक ग्रंथों आदि की जन्मभूमि अर्थात भारत बर्ष में हिंदी की स्थिति आज भी शोचनीय है। दक्षिण भारत के लोग हिंदी के साथ इस हद तक नफ़रत करते हैं कि वे न तो हिंदी बोलते हैं और न ही सुनने को तैयार हैं। अकादमी के वरिष्ठ सदस्य राजेश अध्याय ने कहा कि कोई भी भाषा बुरी नहीं है और न ही किसी भाषा का पूरी तरह विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तानी हैं और हमें गर्व है कि हम हिंदी बोलते हैं। हिंदी को हमारे ही देश में पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए।
पूर्व बैंक अधिकारी चारु दत्त सुधीर ने बताया कि सरकार के आदेश से हर बैंक में हिंदी दिवस मनाया जाता है मगर इसके बावजूद हम लोग अपना काम अंग्रेजी में ही करना चाहते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्र की भाषा है,जिस पर हमें गर्व है। सेवानिवृत्त अध्यापक सुखदेव सिंह गंडवां ने कहा कि सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए तथा हमें भाषा के नाम पर हमें लड़ना नहीं चाहिए। साहित्य में भाषा का कभी मुद्दा नहीं रहा, क्योंकि साहित्य किसी भी भाषा में लिखा गया हो,वह साहित्य ही कहलायेगा। अकादमी के ही शिव कौड़ा पत्रकार ने कहा कि एक पत्रकार चाहे किसी भी भाषा के समाचार पत्र-पत्रिकाओं से जुड़ा हो, उसके लिए सभी भाषाएं सम्माननीय हैं। हां,हम भारतीय हैं और भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी हमारा हमारा गौरव है।