आगामी मानसून से पहले बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने समयबद्ध एवं चरणबद्ध कार्ययोजना लागू कीः डीसी
बाढ़ से निपटने की गतिविधियां तीन चरणों में विभाजित।
रोहतक, गिरीश सैनी। उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा कि जिला प्रशासन ने आगामी मानसून से पहले सभी बाढ़ नियंत्रण उपायों को समय पर पूर्ण करने के उद्देश्य से बाढ़ से निपटने और शहरी जलभराव प्रबंधन के लिए अग्रिम एवं समयबद्ध योजना की शुरुआत की है।
उपायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित एक व्यापक समीक्षा बैठक में मौजूदा अवसंरचना का आकलन, संवेदनशील स्थलों की पहचान तथा आने वाले महीनों के लिए सुव्यवस्थित कार्यान्वयन रोडमैप को अंतिम रूप दिया गया। समीक्षा के दौरान ये स्पष्ट किया गया कि मानसून के दौरान आपातकालीन हस्तक्षेप से बचने और सभी निवारक, सुधारात्मक तथा दीर्घकालिक उपायों को व्यवस्थित एवं समन्वित ढंग से लागू करने के लिए अग्रिम तैयारी अत्यंत आवश्यक है। इसी दृष्टि से, बाढ़ से निपटने की सभी गतिविधियों की योजना कई माह पहले बना ली गई है, ताकि जिला मानसून के आगमन से पूर्व पूरी तरह तैयार रहे।
उपायुक्त ने कहा कि रोहतक शहर में सीवरेज एवं स्टॉर्म वाटर प्रबंधन की एक सुव्यवस्थित व्यवस्था उपलब्ध है। शहर में लगभग 600 किलोमीटर लंबा सीवरेज पाइपलाइन नेटवर्क है, जिसमें 300 मिमी से 1600 मिमी व्यास के पाइप शामिल हैं। इसके अंतर्गत 15 सीवरेज डिस्पोजल बिन्दु कार्यरत हैं, जिनकी कुल डिस्चार्ज क्षमता 268.75 क्यूसेक है। इसके अतिरिक्त 7 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) 130.50 एमएलडी की डिज़ाइन क्षमता के साथ संचालित हैं, जिनमें वर्तमान में लगभग 75 एमएलडी सीवेज का उपचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज अवसंरचना के अंतर्गत लगभग 50 किलोमीटर आरसीसी स्टॉर्म वाटर पाइपलाइन हैं, जिनका व्यास 300 मिमी से 900 मिमी तक है। इसके साथ ही 16 कार्यशील स्टॉर्म वाटर डिस्पोजल बिन्दु हैं, जिनकी कुल डिस्चार्ज क्षमता 378.43 क्यूसेक है। यह प्रणाली प्रति घंटे 12 मिमी वर्षा की तीव्रता के अनुरूप डिज़ाइन की गई है। अत्यधिक वर्षा की स्थिति में अस्थायी जलभराव संभव है, किंतु प्रणाली अपनी डिज़ाइन की गई हाइड्रोलिक क्षमता के अनुरूप कार्य करती है।
उपायुक्त ने बैठक में शहर के दीर्घकालिक जलभराव वाले स्थलों की भी समीक्षा की, जिनमें छोटूराम चौक, सुखपुरा चौक, भिवानी स्टैंड, काठ मंडी, तिलक नगर, एमडीयू गेट नंबर-2 के समीप क्षेत्र, जनता कॉलोनी, गौकरण तालाब क्षेत्र, टीबी अस्पताल रोड तथा अन्य चिन्हित संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं। इन सभी स्थलों पर जलभराव की अवधि को उल्लेखनीय रूप से कम करने हेतु स्थान-विशेष उपायों की योजना बनाई गई है।
उन्होंने वर्तमान में जारी एवं प्रस्तावित बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं की भी विस्तृत समीक्षा की। प्रमुख पहलों में गोकर्ण तालाब, नेहरू कॉलोनी एवं आसपास के क्षेत्रों में व्यापक स्टॉर्म वाटर डिस्पोजल सिस्टम का निर्माण, जिसमें ड्रेन नंबर-8 तक 700 मिमी डीआई पाइपलाइन बिछाना शामिल हैं। लगभग 17 किमी तक महत्वपूर्ण सीवरेज एवं स्टॉर्म वाटर लाइनों की सुपर सकर मशीनों से बड़े पैमाने पर गाद निकालना, राजीव गांधी स्टेडियम रोड एवं अग्रसेन चौक-कृष्णा कॉलोनी जैसे प्रमुख स्थलों पर मशीन वाउंड स्पाइरल लाइनिंग (एमडब्ल्यूएसएल) तकनीक से पुरानी सीवर लाइनों का सुदृढ़ीकरण एवं पुनर्वास, सीवेज डिस्पोज़ल मशीनरी का उन्नयन तथा उससे संबंधित विद्युत एवं सिविल कार्य तथा नई स्वीकृत कॉलोनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में नई एवं प्रतिस्थापन सीवर एवं स्टॉर्म वाटर लाइनों की स्थापना शामिल है, जिससे समग्र ड्रेनेज कवरेज एवं डिस्चार्ज दक्षता में सुधार हो सके।
उपायुक्त ने कहा कि सभी कार्यों को मानसून से काफी पहले पूरा करने के लिए बाढ़ से निपटने की गतिविधियों को तीन स्पष्ट चरणों में विभाजित किया गया है। प्रथम चरण में 15 मार्च तक सभी अल्पकालिक बाढ़ नियंत्रण उपायों की पूर्णता, जिसमें नालों, सीवर लाइनों एवं नालियों की गाद निकालना, अवरोधों को हटाना तथा तात्कालिक सुधारात्मक कार्य शामिल हैं। साथ ही दीर्घकालिक परियोजनाओं से संबंधित आवश्यक अनुवर्ती कार्य जैसे डिज़ाइन, अनुमान, प्रशासनिक स्वीकृतियाँ एवं टेंडर प्रक्रिया भी इस चरण में पूर्ण की जाएंगी। दूसरे चरण में 15 अप्रैल तक शहरी बाढ़ प्रबंधन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण कार्यों की पूर्णता, विशेषकर जलभराव-प्रवण क्षेत्रों में सुनिश्चित की जाएगी। इस चरण में स्टॉर्म वाटर डिस्पोजल को सुदृढ़ करने, संवेदनशील सीवर खंडों के पुनर्वास तथा मानसून से पूर्व इष्टतम डिस्चार्ज क्षमता सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
तीसरे चरण में दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं की पूर्णता सुनिश्चित की जाएगी, जिनका उद्देश्य रोहतक में बार-बार होने वाली बाढ़ एवं जलभराव की समस्याओं के लिए स्थायी एवं टिकाऊ समाधान प्रदान करना है।
सचिन गुप्ता ने बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं नगर निगम के बीच घनिष्ठ समन्वय पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीवरेज एवं स्टॉर्म वाटर प्रबंधन, समय पर गाद निकालना तथा प्रणालीगत अवरोधों को हटाने के लिए दोनों एजेंसियों द्वारा एकीकृत योजना एवं संयुक्त कार्यान्वयन आवश्यक है। इसके लिए नियमित संयुक्त फील्ड निरीक्षण एवं समन्वित निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
Girish Saini 

