एक दिवसीय कार्यशाला में दक्षिण एशिया के आर्थिक भौगोलिक व सामरिक महत्व पर चर्चा

एक दिवसीय कार्यशाला में दक्षिण एशिया के आर्थिक भौगोलिक व सामरिक महत्व पर चर्चा

रोहतक, गिरीश सैनी। विश्व मानचित्र पर भारत एक मजबूत सामरिक स्थिति रखता है। आज के समय में विश्व के सभी देशों की नजरे भारत की तरफ देख रही है।भारत आज विश्व की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। भारत की रक्षा सेनाएं आज हर सुरक्षा चुनौती का सामना करने में सक्षम है। यह उद्गार एमडीयू के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग एवं राजनीतिक विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "दक्षिण एशिया में बदलते भू सामरिक आयाम एवं भारत की सुरक्षा पर इसके प्रभाव" विषय पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने एकदिवसीय कार्यशाला के दौरान व्यक्त किए। प्रारंभ में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सेवा सिंह दहिया ने कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला एवं कार्यशाला के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

 

ले. जनरल दुष्यंत सिंह ने विश्व में दक्षिण एशिया के आर्थिक भौगोलिक व सामरिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विश्व की महाशक्तियों का ध्यान इस महाद्वीप की ओर है। इस महाद्वीप में चीन का आर्थिक राजनीतिक व सामरिक प्रभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। जिसमें चीन स्ट्रिंग आफ पर्ल पॉलिसी के तहत अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। भारत अपनी नेकलेस ऑफ डायमंड पॉलिसी के तहत चीन को जवाब देने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि आज दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को लगातार खतरा बढ़ रहा हैं।

 

मेजर जनरल एस. बी. अस्थाना ने बताया कि हमें अपनी समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए ताकि हम अपने व्यापार को मजबूत कर सकें। आज दक्षिण एशिया में आतंकवाद जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है जो भारत की सुरक्षा को प्रभावित कर रही है। उन्होंने भारत को चीन से मुकाबला करने के लिए कुछ क्षत्रिय संगठनों जैसे क्वॉड आदि के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने एल.ओ.सी. व एल.ऐ.सी. आदि सीमाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। मंच संचालन डॉ. प्रोमिला रांगी ने किया। आई.जी. केडी श्योरान ने मुख्य वक्ताओं का परिचय दिया और कर्नल भास्कर गुप्ता ने आभार व्यक्त किया।