समाचार विश्लेषण/दिलीप कुमार हिंदी फ़िल्मों के ट्रेजेडी किंग 

समाचार विश्लेषण/दिलीप कुमार हिंदी फ़िल्मों के ट्रेजेडी किंग 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
हिंदी सिनेमा के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने आज सुबह अपने जीवन की आखिरी सांस मुम्बई के हिंदुजा अस्पताल में ली । पिछले कुछ समय से जल्दी जल्दी उन्हें अस्पताल ले जाते सायरा बानो को देखा जा रहा था । एक साये की तरह वे उनके साथ रहती थीं और इनकी कोई संतान भी नहीं । 
दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद यूसुफ खान है लेकिन प्रसिद्ध फिल्मकार अभिनेत्री देविका रानी ने इन्हें दिलीप कुमार नाम दिया फ़िल्मों के लिए । एक प्रकार खान हीरोज में वे पहले खान कहे जा सकते हैं । एक फल बिक्रेता के बेटे यूसुफ ने अपने पिता के कारोबार में कुछ समय साथ दिया लेकिन फिल्में उन्हें खींच ले गयीं और सारी ज़िंदगी वे फिल्मों में ही रमे रहे । हर भूमिका में हिट और फिट । चाहे सूट , चाहे धोती । हर पहनावे में जांचते । चाहे मनचले चाहे डाकू या फिर देवदास । मधुमती के हीरो की तरह सुहाना सफ़र और ये मौसम ह॔सीं गाते नायक । हर रोल में दर्शकों को मोह लिया करते थे । जाने कितने दूसरे एक्टर्स के वे आदर्श थे । कितने एक्टर्स इनकी एक्टिंग की काॅपी करने की कोशिश करते रहे लेकिन कोई दूसरा दिलीप कुमार न बन सका । खासतौर पर मनोज कुमार व राजेंद्र कुमार इनसे बहुत प्रभावित रहे ।

इनकी अनेक कहानियां है और अनेक किस्से मशहूर हैं । मधुबाला से प्यार करते थे लेकिन वे अपने पिता के आदेश का उल्लंघन न कर पाईं । प्रेम  कहानी ट्रेजेडी में बदल गयी । हालांकि मुगल ए आज़म इन दोनों की  ऑल टाइम हिट फिल्म रही । राम और श्याम की डबल हीरो की भूमिका में भी कमाल कर दिखाया तो देवदास के रोल को ऐसा निभाया कि दूसरा कोई वैसा रोल न कर पाया । सौदागर फिल्म में लोग राजकुमार और दिलीप कुमार को देखने आये सिनेमा हाल में और मनीषा कोइराला व विवेक मुश्रान इनके साये में ही हिट हो गये । क्रांति, शक्ति , मशाल , कर्मा , सौदागर और न जाने कितनी फिल्मों में चरित्र भूमिकायें निभाईं और हिट रहे । अपने रोल में डूब जाने से वे खुद डिप्रेशन में आ गये । जब विदेश उपचार के लिए गये तब डाॅक्टर ने सलाह दी कि ट्रेजेडी रोल करने बंद कर दो । इस तरह बैराग और गोपी जैसी फिल्में सामने आईं ।

किसी फिल्म अभिनेत्री ने जब इनके प्यार में असफल रहने पर ताना मारा कि एक फल बिक्रेता का बेटा प्रेम के बारे में क्या जाने? तब इनका जवाब था कि जब फल बेचता था तब भी खराब फल बाहर फेंक देता था । मधुबाला के खिलाफ कोर्ट में गवाही भी दी । 

सायरा बानो की मां ने इन्हें बुलाया था कि बेटी को समझाओ कि विवाहित राजेंद्र कुमार से प्यार करना छोड़ दे ।।जब दिलीप कुमार समझाने गये तब सायरा बानो ने कहा कि मैं छोड़ देती हूं लेकिन आप मुझसे शादी कर लो और इस तरह दिलीप कुमार व सायरा  बानो की शादी हुई और जिंदगी भर वे सायरा बानो के साहब रहे । फेशक एक बार दूसरी शादी की बात उठी लेकिन जल्द ही इसे भी छोड़ सिर्फ और सिर्फ सायरा के ही बने रहे । बैराग और गोपी में हीरो हीरोइन भी आए । आज सायरा के साहब ने इस दुनिया से विदा ले ली । इस तरह गोपी की जोड़ी टूट गयी । जिस तरह से सायरा ने दिलीप कुमार की देखभाल में दिन रात एक कर दिया , वह भी एक समर्पण का बड़ा उदाहरण है । 

कितने अध्याय लिख कर गये हैं दिलीप कुमार हिंदी सिनेमा के । वे सदैव याद आयेंगे और याद आते रहेंगे । दिलीप कुमार बनना आसान नहीं।