डिजिटल रुपए की गारंटी होगी पर क्रिप्टो की नहीं

डिजिटल रुपए की गारंटी होगी पर क्रिप्टो की नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जो डिजिटल रुपया लाने की तैयारी में है वह किसी बैंक नोट की तरह ही होगा, बस उसके लिए किसी एटीएम की जरूरत नहीं होगी।
 
भारत में डिजिटल रुपया आने वाला है। इस बीच क्रिप्टो को लेकर भी कुछ महत्वपूर्ण हिदायतें सामने आई हैँ। क्रिप्टो के विज्ञापनों पर वैसी ही चेतावनी साफ साफ लिखना अनिवार्य हो गया है, जैसा सिगरेट की डिब्बी पर धूम्रपान को लेकर लिखा जाता है। देश में विज्ञापनों की क्वालिटी पर निगाह रखने वाली संस्था, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने क्रिप्टो के एड्स को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो 1 अप्रैल, 2022 से लागू हो जाएंगे। इनके अनुसार, क्रिप्टो संबंधी किसी भी एड में यह लिखना अनिवार्य होगा कि देश में क्रिप्टो पर कोई रेगुलेशन लागू नहीं है और ये अत्यधिक जोखिम भरे हो सकते हैं। इस तरह के लेनदेन से होने वाले किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी खुद निवेशक की होगी। इन हिदायतों को विज्ञापनों में इतनी प्रमुखता से बताना होगा कि हर कोई आसानी से देख सके। साथ ही क्रिप्टो के विज्ञापनों में इसे करेंसी नहीं कहा जा सकता। इसके पीछे तर्क यह है कि करेंसी और सीक्योरिटीज जैसे शब्दों पर लोगों को भरोसा होता है, इसलिए निवेशक गुमराह हो सकते हैं। इन विज्ञापनों में बच्चों को शामिल करना भी मना है। 
 
क्रिप्टो के एड्स में विज्ञापनदाता का नाम, उसका फोन नंबर व ईमेल भी बताना होगा, ताकि जरूरत पड़ने पर उससे संपर्क किया जा सके। क्रिप्टो के विज्ञापनों में नजर आने वाले सेलेब्रिटीज के लिए भी हिदायत है कि वे लोगों को गुमराह करने वाली बातें न बोलें और सब कुछ अच्छे से समझने के बाद ही किसी विज्ञापन में शामिल हों। दरअसल हमारे देश में डिजिटल लेनदेन एकदम नई चीज है, जिसे ठीक से समझने में लोगों को काफी वक्त लगेगा। ऐसे में सरकार के साथ-साथ बैंकों, समाचार माध्यमों और वित्तीय मामलों से जुड़े विशेषज्ञों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे आम जनता को जागरूक करें और किसी भी तरह के खतरों से आगाह करते रहें। क्रिप्टो को वर्चुअल डिजिटल संपत्ति मानते हुए केंद्र सरकार ने 30 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि इसको सरकारी मान्यता मिल गई। भारत में क्रिप्टो को न सरकारी मान्यता है, न ही इस पर काबू रखने के लिए कोई सरकारी एजेंसी है। ऐसे में अगर कोई धोखाधड़ी होती है तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से क्रिप्टो में पैसा लगाने वाले व्यक्ति की होगी।
 
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जो डिजिटल रुपया लाने की तैयारी में है वह किसी बैंक नोट की तरह ही होगा, बस उसके लिए किसी एटीएम की जरूरत नहीं होगी। इस रुपए की गारंटी आरबीआई लेगा। चूंकि इसमें आरबीआई की सीधी भूमिका होगी तो इसमें लोगों को वैसे किसी नुकसान का जोखिम नहीं रहेगा, जैसा कमर्शियल बैंकों के मामले में पहले हो चुका है। लोग अपने सेविंग्स अकाउंट से स्मार्टफोन वॉलेट के माध्यम से ऑनलाइन टोकन के रूप में इसका लेन-देन कर सकेंगे। पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग की अपनी गड़बड़ी के चलते 21 बैंकों से ग्राहकों को अपना ही पैसा निकालने से रोक दिया गया था। हालांकि डिजिटल रुपए के कुछ जोखिम भी हैं। सोचिए अगर डिजिटल रुपया ज्यादा लोकप्रिय हो गया तो बैंकों को छोटे अकाउंट रखने में मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि सभी लोग इलेक्ट्रॉनिक कैश की तरफ मुड़ सकते हैँ। वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में डिजिटल रुपए की अभी खास जरूरत नहीं है, क्योंकि देश में पर्याप्त नगदी मौजूद है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)