अभिनव भारत के नवनिर्माण में अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर विस्तृत चर्चा 

संवाद भी किया गया 

अभिनव भारत के नवनिर्माण में अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर विस्तृत चर्चा 

चंडीगढ़: आज संस्कृत विभाग, पीयू द्वारा पं. मदन मोहन मालवीय तथा पूर्वप्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयन्ती पर वेबीनार के अन्तर्गत अभिनव भारत के नवनिर्माण में उनके योगदान पर विस्तृत चर्चा और संवाद किया गया। पी. यू. के कुलपति प्रोफेसर राजकुमार ने इस आयोजन की सफलता के लिए संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. वी. के. अलंकार को अपनी शुभकामनाओं के साथ सार्थक संवाद के आयोजन पर भी बल दिया। विषय का प्रवर्तन प्रो. वी. आर. सिन्हा, डीन-रिसर्च ने किया। प्रो. सिन्हा ने मालवीय जी के जीवन-दर्शन को बड़ी सारगर्भित शैली में प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनका जीवन संघर्ष का उदाहरण है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में मालवीय जी के कर्मयोग को भारत कभी भूल नहीं सकता। इसी प्रकार प्रो .सिन्हा ने श्री अटल बिहारी बाजपेयी के दृढ़ मनोबल को भी रेखांकित किया। संयोजक प्रो. वी. के. अलंकार ने पं. मदन मोहन मालवीय को विद्यापुरुष के रूप में तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी को क्रांतदर्शी, शिखर राजपुरुष के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनकी व्यापक दृष्टि (vision) का मूल्यांकन किया और साथ ही उन्होंने वाजपेयी जी की कई कविताएं प्रस्तुत कीं। वाजपेयी जी की काव्यप्रतिभा के कई नमूने पेश करते हुए उन्होंने बताया कि भारत की एकता, महिलाओं की स्थिति, उपेक्षित समाज ही उनकी कविता के केन्द्र में है। इस संवादसत्र में 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लेकर इन दोनों नायकों के जीवनसंबंधी अनेक पक्षों को सांझा किया। 
पी. यू. कुलपति प्रोफेसर राजकुमार ने व्यक्तिगत रूप से प्रो. अलंकार को इस जयंती की रूपरेखा का सुझाव दिया और उनके भारतीय उत्थान में योगदान पर सार्थक संवाद करने की इच्छा प्रकट की।