उपायुक्त सचिन गुप्ता ने रोहतक तहसील में हेल्पडेस्क का शुभारंभ किया

जिला की सभी तहसीलों व उप तहसीलों में पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली लागू।

उपायुक्त सचिन गुप्ता ने रोहतक तहसील में हेल्पडेस्क का शुभारंभ किया

रोहतक, गिरीश सैनी। उपायुक्त सचिन गुप्ता ने स्थानीय तहसील कार्यालय में हेल्पडेस्क का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि जिला में नई प्रणाली के तहत रजिस्ट्री की जा रही है और सभी तहसीलों और उप-तहसीलों में पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली पूरी तरह से लागू हो चुकी है।उपायुक्त ने पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली को डिजिटल सुशासन, पारदर्शिता और नागरिक-प्रथम सेवा वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। नागरिक नई प्रणाली के तहत घर बैठे भी रजिस्ट्री करवा सकते है तथा किसी भी समय तहसील कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।

उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा कि सभी रजिस्ट्री कार्यालय सुचारू और कुशलता से कार्य कर रहे हैं। गत 12 नवंबर से रिवर्ट विद ऑब्जेक्शन फीचर की सुविधा नागरिकों को दी गई है, जिसके माध्यम से वे आपत्तियों के समाधान के बाद दस्तावेजों को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के दोबारा अपलोड कर सकते हैं। इससे पारदर्शिता और सुविधा दोनों में वृद्घि होगी। प्रत्येक तहसील/उप-तहसील में सहायता के लिए हेल्प डेस्क स्थापित किए गए है। रजिस्ट्री के लिए आवेदन व सत्यापन के लिए वेबसाइट eregistration.revenueharyana.gov.in है। इस दौरान उपमंडलाधीश आशीष कुमार एवं तहसीलदार यशपाल शर्मा सहित तहसील स्टाफ भी मौजूद रहा।

उपायुक्त सचिन गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा पंजीकरण पोर्टल में लागू नई सुविधाओं में सैंपल डीड प्रीव्यू के तहत उपयोगकर्ता अनुमोदन से पहले सैंपल डीड देख सकते हैं। फोटो/अटेंडेंस सुधार के अंतर्गत यदि फोटो या अटेंडेंस गलत है, तो सब-रजिस्ट्रार अब अनुमोदन से पहले केस को आरसी को वापस भेज सकते हैं। रिश्ता फील्ड सुविधा जोड़ी गई। विंडो जैसे संबंध अब जोड़े गए हैं और डीड पर प्रिंट भी होंगे। कन्विंस डीड (सरकारी) के तहत केवल विभाग का नाम आवश्यक होगा तथा अब पैन और आधार नहीं मांगा जाएगा। सरकारी एजेंसियों जैसे एचएसवीपी, एचएसआईआईडीसी, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड और हाउसिंग बोर्ड के मामलों में किला/खसरा नंबर अनिवार्य नहीं होगा। जीपीए मामलों में अब अधिकृत व्यक्ति की उपस्थिति ली जाएगी और डीड पर प्रिंट होगी। डीड प्रिंट के तहत अब डीड पर अधिकतम उपलब्ध जानकारी प्रिंट की जाएगी। लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों के लिए खसरा चयन आवश्यक नहीं है, बल्कि सिस्टम संपत्ति आईडी डेटा के आधार पर आगे बढ़ेगा।

उपायुक्त ने कहा कि ट्रांसफर परमिशन केवल सेल, गिफ्ट या एक्सचेंज डीड के लिए आवश्यक होगी। विल डीड के लिए दूसरी पार्टी वैकल्पिक होगी। मल्टीपल पार्टी सुविधा के तहत अब एक से अधिक प्रथम व द्वितीय पक्ष जोड़े जा सकते हैं। लाइसेंस कॉलोनी (नो ड्यूज) - ऐसे मामलों में नो ड्यूज प्रमाण पत्र की जांच नहीं की जाएगी। दस्तावेज आकार सीमा अब 10 एमबी से बढ़ाकर 50 एमबी कर दी गई है। शर्ते एवं नियम के अनुसार सीमा 500 शब्दों से बढ़ाकर 10 हजार शब्द कर दी गई है। ब्लॉक खसरा पेज को अधिकारी लॉगिन में जोड़ा गया है। आपत्ति के समय कोई दस्तावेज़ नहीं मांगा जाएगा। पुराने शहर क्षेत्रों में खसरा अनिवार्य नहीं होगा। जीपीए रद्द मामलों में दूसरी पार्टी आवश्यक नहीं होगी।
सचिन गुप्ता ने कहा कि एनओसी नंबर अब डीड पर प्रिंट किया जाएगा। यूएलबी क्षेत्रों में केवल एक मालिक की स्थिति में हिस्सा 1/1 माना जाएगा। ऐड/डिलीट सेगमेंट पेज को सीआरओ लॉगिन में सक्षम किया गया है। डीड प्रकार के अनुसार प्रथम पक्ष की गतिशील परिभाषा जैसे सेल डीड में विक्रेता, जीपीए में प्रधान आदि होगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कुछ अन्य सुधार भी किए जा रहे है। इन सुधारों में नागरिक आपत्ति के समय अतिरिक्त दस्तावेज संलग्न करने, डीड-वार डिफॉल्ट शर्ते व नियम, बेहतर डिजाइन और प्रमाणीकरण के लिए डीड पर बारकोड प्रिंटिंग, एक्सचेंज डीड का वर्कफ़्लो जोडऩा, तहसीलवार कैश बुक मॉड्यूल विकसित करना, नियुक्तियों व आवेदनों की निगरानी हेतु डैशबोर्ड विकसित करना शामिल है।