पारदर्शी एवं तकनीक आधारित व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर लगा अंकुशः डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान
राज्य स्तरीय पोर्टल प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न।
नीलोखेड़ी, गिरीश सैनी। आज देश में शासन - प्रशासन की व्यवस्था पारदर्शी एवं तकनीक आधारित हो चुकी है। अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक बटन दबाते ही किसान सम्मान निधि की राशि सीधा लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंच जाती है। अब स्व. राजीव गांधी के कार्यकाल की तरह 100 में से 85 रुपये भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ते। बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई है और भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगा है। ये उद्गार हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने संस्थान में जारी विभिन्न पोर्टलों पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में फील्ड स्तर पर तकनीकी सहयोग प्रदान करने वाले जिला परियोजना प्रबंधक, सहायक जिला परियोजना प्रबंधक एवं ऑपरेटरों ने भाग लिया। कार्यक्रम की समन्वयक एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रतिनिधि मीनू रेढू ने मुख्य अतिथि डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।
अपने प्रभावशाली संबोधन में डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि पंचायतों की वित्तीय पारदर्शिता एवं सुशासन सुनिश्चित करने में डिजिटल पोर्टलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मुख्य पोर्टल ई-ग्राम स्वराज का उपयोग 15वें वित्त आयोग की निधियों के उपयोग के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त पीएफएमएस, जैम पोर्टल, पंचायत निर्णय, एसएनए-स्पर्श तथा विभाग की इन-हाउस एप्लिकेशन पंचायत लेखा-जोखा जैसे पोर्टल पंचायतों के कार्यों को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने में सहायक हैं।
निदेशक डॉ. चौहान ने कहा कि इन पोर्टलों के लागू होने से व्यवस्था में व्यापक पारदर्शिता आई है और जो लोग पहले गलत तरीके से कार्य करते थे, उन पर अब प्रभावी पाबंदी लगी है। उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे लोकतंत्र की ओर अग्रसर हैं, जहां पारदर्शिता और जवाबदेही शासन व्यवस्था का मूल आधार बन रही है।
डॉ. चौहान ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भी यह कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग सही नहीं होंगे तो वह निर्जीव बनकर रह जाएगा। इसलिए आवश्यक है कि सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सकारात्मक सोच, जीवंतता और समर्पण भाव के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) पर जोर देते हुए डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से एक वित्तीय क्रांति आई है, जिससे लाभ सीधे पात्र लाभार्थियों तक पहुँच रहा है और बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हुई है। यह व्यवस्था सुशासन की दिशा में एक सशक्त कदम है।
कार्यालयी कार्यों में राजभाषा हिंदी के अधिकतम उपयोग पर विशेष बल देते हुए डॉ. चौहान ने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह संकल्प दिलाया कि वे अपने कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करेंगे, ताकि राजभाषा हिंदी को व्यवहारिक रूप से और अधिक सशक्त बनाया जा सके।
कार्यक्रम में संस्थान के संकाय सदस्य संदीप भारद्वाज, डॉ सुशील मेहता, कमलदीप सांगवान, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद के विशेषज्ञ गुरबिंदर सिंह, ग्रामीण विकास विभाग से हिमांशु, सौरभ अरोड़ा सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
Girish Saini 


