कांग्रेस : कहीं खुशी, कहीं गम

कांग्रेस : कहीं खुशी, कहीं गम

-*कमलेश भारतीय
आखिरकार हरियाणा में कांग्रेस टिकटों व प्रत्याशियों की घोषणा हो ही गयी । ‌जैसे कि आशंका थी  महेंद्रगढ़ भिवानी श्रुति चौधरी, हिसार से बृजेंद्र सिंह, फरीदाबाद से करण दलाल टिकट से वंचित रह गये । इन टिकटों के बंटवारे से कांग्रेस में कहीं खुशी तो कहीं गम की लहर है । भिवानी में पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने समर्थकों की बेठक बुलाई, जिसमें टिकट से वंचित श्रुति अपने आंसू नहीं रोक पाई और मां किरण ने कहा कि हम भी राव दान सिंह को 'जबरदस्त समर्थन' देंगे, जैसा उन्होंने पिछले चुनाव में श्रुति को दिया था ! यही 'जबरदस्त समर्थन' ही तो कांग्रेस की गुटबाजी की ओर इशारा करता है कि जो जो टिकट से वंचित हो गये हैं, वे घोषित प्रत्याशी के लिए 'जबरदस्त समर्थन' देंगे और यही दीमक कांग्रेस को लगी हुई है । ‌अब कहने वाले कह रहे हैं कि श्रुति को अपनी मां किरण चौधरी के व्यवहार के कारण टिकट से हाथ धोना पड़ा । कुछ इसे राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और तब प्रत्याशी रहे अजय माकन का भी इसमें हाथ बता रहे हैं । अब कहने को तो इतना ही कहा गया है कि महेंद्रगढ़ भिवानी से श्रुति दो बार लगातार हार गयी, इसलिए टिकट की दावेदारी कमज़ोर पड़ गयी ! जितने मुह, उतनी बातें ! कौन सच्चा, कौन झूठा? 
उधर बृजेंद्र सिंह को कांग्रेस में शामिल होकर भी खाली हाथ रहना पड़ा । उचाना में जाकर पूर्व‌ उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने हिसाब बराबर करने में देर नहीं की और कह दिया कि जजपा-भाजपा गठबंधन तुड़वाने के लिए ज़ोर लगाते रहे और गठबंधन टूटने से दो दिन पहले बेटा बृजेंद्र कांग्रेस में शामिल हो गया ! अब विरान माटी हो रही सै ! इससे ऊपर कुछ होता नहीं ! इस तरह दुष्यंत ने अपने मन की कहने में देर नहीं लगाई ! करण दलाल, किरण चौधरी और चौ बीरेंद्र सिंह सबने अपने अपने समर्थकों की बैठकें बुला रखी हैं और ये बैठकें क्या गुल खिलायेंगी़, कोई कुछ नहीं कह सकता ! 
टिकट से वंचित कुलदीप बिश्नोई भी नाराज़ चल रहे हैं और मुख्यमंत्री नायब सि़ह मना आये हैं और देखते हैं कि अब आदमपुर की जनसभा में आते हैं कि नहीं ? जजपा से इस्तीफा दे गये पूर्व प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह हाथ का साथ देने का फैसला कर चुके हैं! इस तरह तह रूठने-मनाने का खेल जारी है ! 
कहीं खुशी, कहीं गम
न जुदा होंगे हम! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी