बदलतीं‌ जा रहीं रणनीतियां 

हमसे आया न गया , तुमसे बुलाया न गया

बदलतीं‌ जा रहीं रणनीतियां 

-*कमलेश भारतीय
यह चुनावी महाभारत है और इसमें प्रचार के कुछ ही दिन रह गये हैं और एक-एक दिन मुट्ठी में रेत की तरह फिसल रहा है। करें तो क्या करें प्रत्याशी ? ऊपर से ऊपर वाला इतनी प्रचंड गर्मी दे रहा है कि बिना आईपीएल खेले प्रत्याशियों के छक्के छूट रहे हैं पर करें तो क्या करें? एसी रूम में बैठ कर तो चुनाव नहीं लड़ा जा सकता न । कुरूक्षेत्र के मैदान में सब तरह की रणनीतियां बनानी पड़ती हैं । ऐसे लग रहा है कि गांव में जाने पर जब किसानों ने काले झंडे दिखाकर भाजपा और जजपा नेताओ से सवाल पूछने शुरू किये और इनके अश्वमेध यज्ञ के घोड़ों को थाम लिया तब इन्हें  परेशानी का सामना करना पड़ा और इन नेताओं ने गांव की बजाय 'चलो शहर की ओर' का नारा लगाया और देखिए कैसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हिसार से भाजपा प्रत्याशी चौ रणजीत चौटाला के साथ हिसार में एक दर्जन से ज्यादा घरों में जलपान के बहाने प्रचार पर निकल लिये । ‌न हींग लगी, न फट करी, रंग चोखा ही चोखा ।  साथ के साथ लगे हाथ रूठे नेताओं को मनाने का काम भी कर लिया । प्रो छत्रपाल और कुलदीप बिश्नोई के मुह से कहलवा लिया कि हम नाराज नहीं, हम अब राजी हैं ।  है न कमाल ।  पहले आप किसानों को 'बीमारी' कहो और फिर उनके वोट भी मांगो, यह कैसे होगा? अब किसान पूछ रहे हैं तो काफिले दूसरी ओर मुड़ रहे हैं ।  
भितरघात का डर भी सता रहा है प्रत्याशियों को ।  भाजपा प्रत्याशी को नारनौंद व आदमपुर में भितरघात का खतरा है मन ही मन तो कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश को उचाना में चौ बीरेंद्र सिंह से भितरघात का खतरा है और वे मनाने जा रहे हैं पिता पुत्र को।  दरअसल कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अभिमन्यु भी भाजपा टिकट के प्रबल दावेदारों में थे लेकिन टिकट मिला चौ रणजीत चौटाला को तो भितरघात का खतरा तो है न‌ ।  ऐसे ही हिसार से पूर्व सांसद रहे बृजेन्द्र सिंह प्रबल दावेदार थे कांग्रेस टिकट के लेकिन टिकट मिला जयप्रकाश को तो भितरघात का डर सता रहा है ।  अब रूठने मनाने का खेल शुरू हो रहा है ! देखते हैं कि कौन रूठा रहता है और कौन‌ मान जाता है । अभी जैसे भिवानी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से सवाल किया गया कि कुमारी सैलजा के चुनाव प्रचार में जायेंगे सिरसा? जवाब दिया -सेलजा बुलायेंगीं तो जरूर जाऊंगा। अब यह तो वही बात हो गयी :
हमसे आया न गया, तुमसे बुलाया न गया! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।