समाचार विश्लेषण/चेहरे क्या बदलते हो, कार्य शैली बदल कर देखो न?

समाचार विश्लेषण/चेहरे क्या बदलते हो, कार्य शैली बदल कर देखो न?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
उत्तराखंड के बाद दूसरी विकेट गिरी गुजरात की यानी मुख्यमंत्री विजय रूपाणी गये-दौड़े दौड़े दिल्ली इस्तीफा देने । यह संस्कृति भी कांग्रेस ही उधार ली है । इन चुनाव से पहले जनता के मूड को भांप कर मुख्यमंत्री का चेहरा बदल देना । पर क्या चेहरे बदल देने से जनता का मूड भी बदल जायेगा? ऐसा होता नहीं । हरियाणा का उदाहरण सामने है । कभी कांग्रेस ने इस राज्य में चुनावों के आसपास चेहरे बदले । कभी चौ बंसीलाल को तो कभी चौ भजन लाल को मुख्यमंत्री बना कर देखा लेकिन जनता का मूड नहीं बदला क्योंकि जनता मन बना चुकी थी कांग्रेस को अलविदा कहने की । लगता है उत्तराखंड और गुजरात की जनता का मूड अब भाजपा के प्रति बदल गया है  । इसे देखते हुए भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदलने में ही भलाई समझी और नये मुख्यमंत्रियों के चेहरों के सहारे नयापन लाकर चुनाव जीतने की तैयारी कर ली है । वैसे हमारे प्रधानमंत्री जी गुजरात माॅडल की चर्चा करते नहीं थकते लेकिन क्या पहले आनंदी बेन और अब विजय रूपाणी उनके माॅडल को आगे बढ़ाने में असफल रहे ? तभी तो आनंदी बने को हटा राज्यपाल बना दिया गया था । क्या अब विजय रूपाणी को भी किसी राज्य का राज्यपाल बना कर भरपाई की जायेगी ? 
जब किसी राज्य के लोग किसी पार्टी की सरकार से दूर होने लगें तो क्या मुख्यमंत्री का चेहरा बदल देना कोई हल है ? नहीं । कोई हल नहीं है चेहरा बदलना । जनता मूड बना चुकी होती है । अब मात्र पंद्रह माह बच रहे हैं गुजरात के विधानसभा चुनाव आने में और क्या नये मुख्यमंत्री के पास कोई जादू की छड़ी होगी जो वे गुजरात में भाजपा के प्रति जनता के मूड को बदलने में सफल होंगे? जी नहीं । यह सिर्फ मन का वहम मात्र है । इस से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला । उदाहरण आपको हरियाणा का दिया ही है । वैसे महाराष्ट्र में बी कांग्रेस ऐसे प्रयोग करती रही है । कभी सुनील कुमार शिंदे तो कभी अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री बनाये गये । अभी तक चर्चा चल पड़ी कि कहीं हरियाणा में भी ऐसा प्रयोग भाजपा करने वाली है ?  
असल में ऐसी स्थिति में किसी भी पार्टी को अपनी कार्य शैली पर मंथन करना चाहिए न कि चेहरे बदलने चाहिएं । पार्टी ने क्या गलतियां कीं और क्यों जनता सरकार के विरूद्ध होती चली गयी । यह सोचने विचारने की बात है । मुख्यमंत्री तो पहले भी आपकी ही राइट च्वाॅइस था और अब भी आपकी च्वाॅइस रहेगी । कोई विधायकों की च्वाॅइस तो पूछता नहीं । कांग्रेस की तरह दिल्ली से मुख्यमंत्री भेज दिये जाते हैं और चुनाव मे सर्वसम्मति का नाटक करवा लिया जाता है । अब भाजपा यह नहीं कह सकती कि हम कोई कांग्रेस नहीं हैं जो दिल्ली से मुख्यमंत्री थोपा जायेगा।  सच में अब तो भाजपा हो या कांग्रेस मुख्यमंत्री तो बने बनाये भेजे जाते हैं । रेडीमेड मुख्यमंत्री जो दिल्ली में बनाये जाते हैं ।  फर्क क्या रहा आपकी और कांग्रेस की कार्यशैली में ? कोई फर्क नहीं । मुख्यमंत्रियों के चेहरे बदलने से अच्छा है कि पार्टियां अपनी कारगुजारी पर मंथन करें और किसी मुख्यमंत्री को अपमानित न करें । इससे कुछ नहीं होने वाला । 
ये जो पब्लिक है 
वो सब जानती है 
दिल्ली क्या है 
गुजरात में क्या है 
यह सबकुछ पहचानती है 
ये जो पब्लिक है ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।