वियतनाम में अमेरिका की बर्बरता को देख बन गयी कामरेड: सुभाषिणी अली 

वियतनाम में अमेरिका की बर्बरता को देख बन गयी कामरेड: सुभाषिणी अली 
सुभाषिणी अली।

-कमलेश भारतीय 
मैं तो अमेरिका पढ़ने गयी थी पोस्ट ग्रेजुएशन करने और वो भी स्काॅलरशिप के आधार पर लेकिन वहां कैम्पस में वियतनाम में अमेरिका की गतिविधियों/बर्बरता के विरोध में जबरदस्त गुस्सा था। बड़े प्रदर्शन हो रहे थे । मैं इस संघर्ष से जुड़ गयी । काले नस्ल के लोगों के अधिकारों के संघर्ष का रूप भी ले रहा था यह आअंदोलन । मैं बन गयी कामरेड । उनसे जुड़ गयी और कामरेड बन कर वापस भारत आ गयी अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं की । यह कहना है अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिणी अली का । वैसे वे पहले तीन तीन बार इसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहीं लेकिन नियमानुसार तीन बार ही अध्यक्ष बन सकते हैं तो सहयोग के लिए उपाध्यक्ष बनाया गया । सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि वे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रानी झांसी महिला रेजीमेंट की कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बेटी हैं और उन्हीं के आदर्श जैसे घुट्टी में आ गये । वैसे वे अभिनेत्री भी रहीं । वे कल हिसार आई थीं तब उनसे बातचीत की गयी ।
 

-पढ़ाई लिखाई कहां कहां ?
-कानपुर , देहरादून और चेन्नई। 
-चेन्नई कैसे ?
-वहां मेरी नानी रहती थीं और ग्रेजुएशन वहीं से की ।
-आप किस रूप से जुड़ीं पार्टी से ?
-डीवाईएफआई संगठन से शुरूआत की । सन् 1970 से जुड़ी । यूपी की कन्वीनर बनाई गयी ।
-फिर ?
-मुम्बई चली गयी और वहां महिलाओं के लिए काम शुरू किया क्योंकि आपातकाल लग चुका था । कानपुर पुलिस वहां ढूंढ़ती रही और मैं मुम्बई में अनेक महिला संगठनों के लिए काम करती रही ।
-जनवादी महिला समिति कब बनी ?
-सन् 1981 में । फिर इसकी तीन बार मैं अध्यक्ष रह चुकी और आजकल उपाध्यक्ष।  
-क्या यह माना जाए कि मां कैप्टन लक्ष्मी सहगल ही आपकी प्रेरणा हैं ?
-मां लक्ष्मी और पापा प्रेम सहगल दोनों । वैसे प्रेरणा विचारधारा है हमारी जिस संगठन से जुड़ी हूं ।
-शादी हुई ?
-जी । मुजफ्फर अली से जो फिलकार हैं लेकिन अब हम अलग रहते हैं । एक बेटा है शाद अली वह भी फिल्मकार है-डायरेक्टर ।
-आपके आदर्श कौन ?
-शहीद भगत सिंह और डाॅ अम्बेडकर व पार्टी के नेता।  
-क्या आप लेखिका भी हैं ?
-जी । जागरण व अमर उजाला में स्तम्भ लेखन किया । 
-आप किसान आंदोलन को समर्थन देने आईं तो क्या कहना है इस आंदोलन के बारे में ?
-दूर बैठ कर इस आंदोलन की गहराई और विस्तार को नहीं समझा जा सकता ।  हरियाणा के गांवों में जाकर पता चला कि यह आंदोलन कितना गहरा है । ऐसा जबरदस्त आंदोलन कभी हुआ ही नहीं इससे पहले। । बाड्ढो पट्टी और जींद के टोल देख कर पता चला इसकी गहराई का ।
-आपको कौन से लेखक पसंद हैं ?
- वैसे यह बताना बहुत मुश्किल है ।पहले मुंशी प्रेमचंद को खूब पढ़ा और फिर अमेरिकन लेखकों को भी पढ़ा ।
-कभी चुनाव लड़ा?
-लड़ा न एक बार और कानपुर से सांसद रही सोलह माह के लिए ।
-फिर चुनाव लड़ेंगी ? 
- अब लड़ने का इरादा नहीं ।
हमारी शुभकामनाएं सुभाषिणी अली को ।