बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ की शुरुआत

इस सम्‍मान से भारतीय भाषाओं में साहित्यिक कृतियों को विशेष सम्‍मान मिलेगा। यह सम्‍मान मूल लेखक के साथ अनुवादक को भी प्रदान किया जाएगा।

बैंक ऑफ़ बड़ौदा द्वारा ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ की शुरुआत

भारत के सार्वजनिक बैंकों में अग्रणी बैंक ऑफ़ बड़ौदा (बैंक), ने ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ नाम से एक सम्मान स्‍थापित किए जाने की घोषणा की। बैंक द्वारा इस सम्‍मान की शुरुआत भारतीय भाषाओं में साहित्यिक लेखन कार्य को प्रोत्‍साहित करने के लिए की गई है। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने आज जयपुर में आयोजित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के एक विशेष सत्र में इस सम्मान की शुरुआत की घोषणा की। इस अवसर पर बैंक के कार्यपालक निदेशक अजय के. खुराना भी उपस्थित थे।

भारत जैसे बहुभाषी देश में सभी भारतीय भाषाओं का प्रयोग महत्‍त्‍वपूर्ण है क्‍योंकि ये राष्‍ट्र को विविधता प्रदान करते हुए एक समृद्ध विरासत के निर्माण में सहायक हैं। देश की सभी भाषाएं राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं एवम् अपने साहित्य के माध्यम से राष्ट्र की साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक विरासत को संपन्‍न कर रही हैं। इसे ध्यान में रखते यह ‘बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान’ भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य को बढ़ाने और आम लोगों के लिए हिंदी में श्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराने का लक्ष्‍य रखता है. यह सम्‍मान भारत में साहित्यिक अनुवाद कार्य को भी प्रोत्‍साहित करेगा।

यह पुरस्‍कार मूल रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में लिखे गए चयनित उपन्‍यास के मूल लेखक और इसके अनुवादक, दोनों को ही प्रदान किया जाएगा. इसके तहत प्रति वर्ष सम्‍मानित उपन्यास के मूल लेखक को रु. 21.00 लाख तथा उस कृति के अनुवादक को रु. 15.00 लाख तथा अन्‍य पांच चयनित कृतियों के लिए प्रत्‍येक मूल लेखक को रु. 3.00 लाख तथा अनुवादक को रु. 2.00 लाख की राशि पुरस्‍कार स्‍वरूप दी जाएगी।

पुरस्‍कार के संबंध में घोषणा करते हुए बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी ने इस शुरुआत को भारतीय भाषाओं के मूल साहित्‍य और हिंदी में इनके अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्‍त्‍वपूर्ण कदम बताया. उन्‍होंने कहा कि “बैंक की इस पहल से न केवल हिंदी भाषा में भारतीय साहित्य के अनुवाद कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि इससे दूसरी भारतीय भाषाओं में भी गुणवत्‍तापूर्वक लेखन को बढ़ावा मिलेगा। दोनों ही रूप में इससे भारतीय भाषाओं में गुणवत्तापरक लेखन को प्रोत्‍साहन मिलेगा। यह पुरस्‍कार साहित्यिक अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने में बेहद कारगर होगा।”

कार्यक्रम में उपस्थित बैंक के कार्यपालक निदेशक श्री अजय के. खुराना ने कहा कि “यह बैंक के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. हम इस सम्‍मान की शुरुआत कर भारतीय भाषा, साहित्‍य और अनुवाद तीनों क्षेत्रों के लिए अहम योगदान देने वाले हैं।"

इस अवसर पर बुकर पुरस्‍कार से सम्‍मानित बहुचर्चित लेखिका गीतांजलि‍ श्री सहित देश-विदेश के साहित्‍य प्रेमी, भाषाविद् सहित अन्‍य प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।