बड़े मियां बड़े मियां, छोटे मियां सुभान  अल्लाह 

बड़े मियां बड़े मियां, छोटे मियां सुभान  अल्लाह 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
नहीं , नहीं , यहां अमिताभ बच्चन और गोविंदा स्टारर फिल्म की बात नहीं करने जा रहा।  यह तो पुरानी बात हो गयी । अब तो गोविंदा सिर्फ रियल्टी शोज में डांस करने आते हैं मेहमान बन कर । फिल्मों से तो आउट कर दिये निर्देशकों ने । 
खैर , फिर मैं बात किसकी करने जा रहा हूं ? हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के संगठन के चुनावों की , जिसके लिए कांग्रेस हाईकमान के दरबार तक विधायक ही नहीं , खुद प्रदेशाध्यक्ष सैलजा दस्तक देती आ रही है ।प्रभारी बंसल कह रहे हैं  कि बस , लिस्ट जारी होने ही वाली है लेकिन लिस्ट है कि अंगद के पांव की तरह मिलने का नाम ही नहीं ले रही । प्रभारी कह रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी लिस्ट दे चुके जबकि खुद हुड्डा बयान दे रहे हैं कि मैंने कोई लिस्ट नहीं दी तो क्या हुड्डा के आवास पर औपचारिक मुलाकात को ही लिस्ट से जोड़ दिया प्रभारी ने ?
 इतनी भारी है कांग्रेस संगठन की लिस्ट । वैसे ज़ोर भी इसी बात पर है सब महारथियों का कि यह लिस्ट हिल ही न पाये । वहीं पड़ी रहे , जहां है यानी खुड्डे लाइन क्योंकि सबके मन माफिक पदाधिकारी नहीं हैं इस लिस्ट में । फिर ऐसे संगठन का क्या फायदा जो हमारे इशारों पर न चले । सबके अपने अपने लोग हैं और सबके नाम कैसे आ जायें ? यही तो रौला मचा हुआ है? हम तो यह कह सकते हैं : 
इस हरियाणा कांग्रेस में 
हर शख्स परेशान सा क्यों है ?
हर तरफ हर आंख में जलन 
क्यों है ...
हर नेता एक दूसरे से डरा डरा और ईर्ष्या का मारा क्यों है ? हर नेता दूसरे पर शक क्यों कर रहा है? 
अशोक तंवर भी छह साल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह लिए लेकिन मजाल है कि संगठन खड़ा कर पाये हों ? लिस्ट बनाई जरूर लेकिन कहां पड़ी रह गयी, अब तो राहुल गांधी भी नहीं जानते । 
मज़ेदार ट्विस्ट यह आया है कि युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों की लिस्ट और भी लम्बी चौड़ी है । यहां तक कि हमारे जेपी के बेटे विकास भी चर्चा में हैं । एक समय चिरंजीव भी ऐसे ही चर्चा में रहे थे और लालू यादव का दामाद होना बड़े काम आया था । इसीलिए कह रहा हूं कि 
बड़े मियां बड़े मियां 
छोटे मियां सुभान अल्लाह ...
कांग्रेस की ऊपर से लेकर नीचे तक इस गुटबाजी की दीमक ने खोखला करना शुरू कर रखा है । हाईकमान अब पहले जैसी हाईकमान नहीं रही ।  अब मूकदर्शक बनी रहती है । जो भी आता है अपनी सुना कर कला जाता है तब राहत की सांस लेती है । कोई हल नहीं इसके पास । फिर चाहे पंजाब हो या राजस्थान । सब एक समान। पंजाब , यूपी और उत्तरा खंड में चुनाव सिर पर हैं और हाईकमान का क्या कहें...