समाचार विश्लेषण/बाबू जी, लोकतंत्र खतरे में है। मिशन पर रहिए, कमीशन पर नहीं। 

समाचार विश्लेषण/बाबू जी, लोकतंत्र खतरे में है। मिशन पर रहिए, कमीशन पर नहीं। 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
बाबू जी , वैसे तो हमारी पर्दे की झांसी की रानी यानी कंगना का कहना है कि भारत को असली आजादी सन् 2014 में मिली और जो सन् 1947 में मिली थी वह आज़ादी नहीं , अंग्रेजों की ओर से महात्मा गाँधी को मिली भीख थी लेकिन मेरा मानना है कि सन् 2014 से लोकतंत्र न केवल खतरे में है बल्कि बिकाऊ भी है । कैसे ? इसका ताजा ताज़ा उदाहरण तो पंजाब से आप के सांसद  व हास्य कलाकार भगवंत मान ने दिया है जब उन्होंने बताया कि उन्हें भाजपा द्वारा खरीदने की कोशिश की गयी और मंत्री पद तक की पेशकश की गयी । मान आप की पंजाब इकाई के अध्यक्ष भी हैं । मान ने यह खुलासा किया कि अगले वर्ष पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने भाजपा में शामिल होने के लिए धन व केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने की पेशकश की है । सीधे सीधे पूछा गया -मान साहब, भाजपा में शामिल होने का आप क्या लेंगे ? यह भी पूछा गया कि आपको धन की जरूरत है ? इस पर भगवंत मान ने जवाब दिया कि मैं मिशन पर हूं न कि कमीशन पर । इसके साथ ही कड़े शब्दों में कहा कि वो दूसरे लोग होंगे जिन्हें आप खरीद सकते हैं । आप मुझे धन या किसी पेशकश से खरीद नहीं सकते । भाजपा नेता का नाम पूछे जाने पर मान ने कहा कि सही समय पर खुलासा करेंगे । मान ने कहा कि भाजपा का पंजाब में कोई जनाधार नहीं और तीन कृषि कानूनों के बाद तो इसके नेताओं का गांवों में प्रवेश बहुत कठिन है । 
दूसरों ओर से भाजपा ने जवाबी हमला करते कहा कि असल में भगवंत मान ऐसे बयान देकर अपनी पार्टी को ब्लैकमेल कर रहे हैं और मुख्य मंत्री पद पर दावा मजबूत करने की कोशिश है यह । जो भी हो पेशकश पहली बार या पहले राज्य में नहीं हुई । पश्चिमी बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के कितने नेता भाजपा की ओर भागे लेकिन चुनाव के बाद यही नेता वापसी भी उतनी ही तेज़ी से कर रहे हैं । कर्नाटक हो ये मध्य प्रदेश या फिर गोवा या मणिपुर या उत्तराखंड कहां यह लोकतंत्र खतरे में नहीं पड़ा सन् 2014 के बाद ? सरेआम विधायकों की मंडी क्या मानेसर में नहीं लगी राजस्थान के विधायकों को बंधक बना कर रखा गया और बात न बनने पर इन्हें छोड़ा गया । गुजरात के राज्यसभा चुनाव में भी अलग अलग होटलों व रिसोर्टस में विधायकों को बंधक बनाये रखा गया था । आखिर यह लोकतंत्र खतरे में है या नहीं ? फिर भी प्रधानमंत्री संविधान दिवस यानी 26 नवम्बर को इसी संविधान को गरिमा बचाने की दुहाई दे रहे थे । एक सर्वेक्षण के अनुसार कांग्रेस से ही कम से कम सत्तर प्रतिशत नेता भाजपा में इन सालों के दौरान शामिल हुए या किये गये और न असली कांग्रेस रही और न रही असली भाजपा । दोनों  मिलावटी दूध की तरह हो गयी हैं । अभी तो पंजाब में ढींडसा जी के साथ भाजपा गठबंधन की कोशिश में है और अपने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह तो भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों में हैं । इसीलिए कांग्रेस ने उनकी धर्मपत्नी परणीत कौर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण नोटिस थमा दिया है । जाहिर है वे अपने पति की पार्टी में देर सबेर शामिल होंगी । 
जहां भी , जिस भी राज्य मे चुनाव आते हैं , पहले ही वहां लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है जब विधायकों की खरीद फरोख्त की बातें खुलेआम सामने आने लगती है । अब भगवंत मान ने ऐसे जग-जाहिर कर दिया है । अभी तो शुरूआत हुई है । आगे आगे देखिए होता है क्या , ,,,
दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
कैसे कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं ।गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं,,,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी।