आंचल और कफन में बड़ा फर्क ..... /कमलेश भारतीय 

प्रवासी मजदूरों की बदहाली का उल्लेख करता लेख 

आंचल और कफन में बड़ा फर्क ..... /कमलेश भारतीय 
कमलेश भारतीय।

टीवी और सोशल मीडिया पर एक दृश्य देखा नहीं गया । रेलवे प्लेटफार्म पर एक महिला मृत पड़ी है और उसका डेढ़ वर्षीय बच्चा उस पर ओढाई हुई चादर से खेल रहा है । मां का आंचल  समझ कर जबकि वह आंचल अब एक कफन में बदल चुका है पर बच्चा क्या जाने । वह खेल रहा है और इधर उधर मां के आसपास डोल रहा है । इस बात से बेखबर कि उसके साथ क्या घट चुका है । यह महिला अपने दो बच्चों के साथ रेल में सफर कर रही थी । पति ने छोड़ दिया था लेकिन जीवन के सफर जारी रखे थे हिम्मत से लेकिन भूख और गर्मी ने जान ले ली । यह बदहाली सभी प्रवासी मजदूर झेल रहे हैं देश भर में । रेलें ठसाठस भरी जा रही हैं और इन मजदूरों पर राजनीति जारी है । इन पर राजनीतिक पार्टियों की ममता का आंचल नहीं है । ये दृश्य हर राज्य की सड़क और रेलवे स्टेशनों पर देखे जा सकते हैं । सोनू सूद इन मजदूरों के साथ खड़ा मिलता है तो राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी राजनीति चमकाने में लगीं एक दूसरे पर राजनीति करने के आरोप लगाने में व्यस्त हैं । सोनिया गांधी इनको 7500 रुपये देने की मांग उठाती हैं तो स्मृति ईरानी को राजनीति की खुशबू आ जाती है । यदि आपने ही राजनीति करनी है और दूसरों दलों पर बैन है तो आप ही जाइए अमेठी और पता कीजिए कि क्या हालत है मजदूरों की ? दिल्ली ए सी के नीचे क्यों बैठी हैं ? प्रधानमंत्री वोट के दिनों में सभी सांसदों को अपने अपने क्षेत्र जाने के निर्देश देते हैं तो इन दिनों कौन जाएंगा इनके बीच ? क्या इन मजदूरों के साथ सिर्फ वोट का ही रिश्ता है हमारा ? कितने दृश्य याद करोगे ? रेल से कट मरे ग्यारह मजदूरों के जिनकी रोटियां रेल की पटरियों के बीच पड़ी रह गयीं और वे अंतिम यात्रा पर निकल गये ? ट्रकों की टक्कर में मरे प्रवासी मजदूरों के दृश्य ? जाना कौन चाहता है ? पर रह कर भी क्या करें ? यही नियति है प्रवासी मजदूरों की । राजनीतिक पार्टियां इनके कफन को लेकर या मृत्यु को लेकर राजनीति न करें बल्कि इन्हें अपनी ममता का आंचल दें । सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिए कि इनके भोजन का प्रबंध किया जाए सफर के दौरान । एक बच्चा इसलिए दम तोड़ गया क्योंकि उसके पापा को रेलवे स्टेशन पर दूध ही बहुत देर से मिला । रेल किराये पर भी खूब बयानबाज़ी हुई । अभी भी फ्री हुआ या नहीं ? कोई जानता है ? सब एक दूसरे पर थोपे जे रहे हैं । आप सब राजनीति छोड़िए गरीब मजदूर को लेकर । मानवता के आधार पर इन्हें ममता का आंचल प्रदान कीजिए ।