पुस्तकें ज्ञान बढ़ाने के अलावा जीवन कौशल भी करती हैं विकसितः सुनित मुखर्जी

पुस्तकें ज्ञान बढ़ाने के अलावा जीवन कौशल भी करती हैं विकसितः सुनित मुखर्जी

रोहतक, गिरीश सैनी। पुस्तकें केवल ज्ञान ही नहीं बढ़ाती, मनोरंजन ही नहीं करती बल्कि जीवन कौशल भी विकसित करती हैं। पुस्तकें हमें संवेदी बनाती हैं तथा जीवन के विभिन्न आयामों बारे बारे आलोकित करती है। ये उद्गार एमडीयू के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में बुक क्लब सत्र के तहत प्राध्यापक सुनित मुखर्जी ने व्यक्त किए। इस सत्र में मिच एल्बॉम की चर्चित पुस्तक- ट्युसडेज विद मॉरी बारे चर्चा हुई।

 
सुनित मुखर्जी ने मिच एल्बॉम की प्रेरणादायी पुस्तक ट्युसडेज विद मॉरी बारे विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक लेखक मिच एल्बॉम की मेमोयर है, जिसमें उनके समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर मॉरी स्कावर्ज से हर मंगलवार मिलने तथा इन 14 मंगलवारों को प्रो. मॉरी से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्राप्त ज्ञान को साझा किया गया है।

 
सुनित मुखर्जी ने बताया कि इस किताब के जरिए प्रो. मॉरी हमें सिखाते हैं कि सच्चा सुख भौतिक चीजों से नहीं बल्कि अपने जुनून और अर्थपूर्ण जीवन जीने से आता है। प्रो. मॉरी इस पुस्तक में दोस्ती, प्यास, संबंध, क्षमा के महत्व, जीवन उद्देश्य, वर्तमान का महत्व तथा मृत्यु की स्वीकार्यता बारे बताते हैं। यह पुस्तक मानवता, प्रेम, आत्मीयता तथा रिश्तों के महत्व को रेखांकित करती है।

 
पुस्तक चर्चा उपरांत सत्र में आपसी संवाद भी हुआ। प्राध्यापक सुनित मुखर्जी ने विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त प्रत्येक माह कम से कम एक पुस्तक पढऩे का आह्वान किया।