अकु श्रीवास्तव की पुस्तक सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का, किताब हिंदी व अंग्रेजी संस्करण का विमोचन

देश के हर कोने से संसदीय इतिहास में दिखती है क्षेत्रीय दलों की मजबूत मौजूदगी; हरिवंश

अकु श्रीवास्तव की पुस्तक सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का, किताब हिंदी व अंग्रेजी संस्करण का विमोचन
अकु श्रीवास्तव की पुस्तक सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का, किताब हिंदी व अंग्रेजी संस्करण का विमोचन।

-लोकतंत्र के उभार के लिए जरूरी हैं क्षेत्रीय दल; संजय सिंह
-अपने अनुभव को किताब में लिखा है: हरिवंश
--वरिष्ठ पत्रकार अकु श्रीवास्तव की पुस्तक सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का, किताब हिंदी व अंग्रेजी संस्करण का विमोचन
 

नई दिल्ली। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने वरिष्ठ पत्रकार, लेखक अकू श्रीवास्तव की हिन्दी और अंग्रेजी में लिखी किताब " सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का" का विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि बीते तीन दशक से अधिक अकु श्रीवास्तव पत्रकारिता कर रहे हैं। उनका पत्रकारिता में जो अनुभव रहा है, वो उन्होंने अपनी किताब में लिखा है। उन्होंने कहा कि देश में क्षेत्रीय दलों की सशक्त मौजूदगी रही है।  आजादी के बाद देश की राजनीतिक यात्रा और उसमें क्षेत्रीय दलों की भूमिका को किताब में बताना बेहद रोचक है। कई दल ऐसे हैं जो चुनाव में जन्म लेते हैं और चुनाव बाद समाप्त हो जाते हैं। साल 1920 में पहला क्षेत्रीय दल शिरोमणि अकाली दल बना था। इस किताब में दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक की राजनीति के बारे में काफी रोचक जानकारियां पढऩे को मिलेंगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुध्न सिन्हा ने की। वहीं विशिष्ट अतिथियों में सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी व संजय सिंह सहित प्रकाशक पीयूष मौजूद रहे। मंच का संचालन लेखक व पत्रकार अश्विनी भटनागर ने किया।

प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का लोकार्पण के दौरान कहीं। बता दें कि इस इस दौरान लेखक अकु श्रीवास्तव ने कहा कि  स्टॉक मार्केट की तरह राजनीति का का सेंसेक्स होता है। उसी तरह क्षेत्रीय दलों का भी सेंसेक्स होता है।  सेंसेक्स की तर्ज पर क्षेत्रीय दलों के ऊपर नीचे जाने का रिकॉर्ड भी राजनीतिक इतिहास में नजर आता है।

उन्होंने बताया कि 1967 में 8 राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकारें थीं। साल 2013 में क्षेत्रीय दल आम आदमी पार्टी के दिल्ली में आने के बाद देश की राजनीति में अलग उछाल रहा है। बंगाल में टीएमसी के दबदबे को सब जानते हैं। जब ये किताब लिख रहा था तब शुरूआत कुछ और थी लेकिन बाद में इसकी रूपरेखा बदलती रही। इसमें विलुप्त होती पार्टियों का भी जिक्र है, कालखंड से भविष्य तक पुस्तक को 5 भागों में बांटा गया है।

सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि बिहार में अगड़ी-पिछड़ी, दलित-महादलित में राजनीति उलझी रही। एक ओर जहां वर्तमान में भाजपा एक तरफ बैठी है वहीं दूसरी ओर सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल बैठें हैं लेकिन इन सबके बीच बिहार के लोगों के पलायन का सेंसेक्स भी खोजने की जरूरत है। परिवारवाद व व्यक्तिवाद ने खुद का सेंसेक्स बना रखा है। ये पुस्तक इन सभी पहलुओं को छूते हुए राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका को बेहतरीन तरीके से बताती है।

लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए क्षेत्रीय दलों के उभार को जरूरी  बताते हुए आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, बेशक दिल्ली व पंजाब में आप की सरकार हो, हम उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड का चुनाव हार चुके हों लेकिन ये भी सच है कि आज आप पूरे देश1 में मौजूद है। देवगौड़ा साहब की सरकार क्षेत्रीय दलों का बेहतर उदाहरण हैं जहां 3 सांसदों के साथ वो प्रधानमंत्री बने। क्षेत्रीय दलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए क्षेत्रीय दलों का उभार जरूरी है। आम आदमी पार्टी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा आज कई क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय पार्टी बनने की ओर अग्रसर हैं।

सांसद एवम फ़िल्म अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा ने कहा, हमेशा राजनीति में क्षेत्रवाद, परिवारवाद, दलितवाद का जिक्र किया जाता है लेकिन इस समय दो पार्टियां सबसे ज्यादा बैचेनी पैदा कर रही हैं। आने वाले दिनों में इनका जलवा व जुंबिश देखने लायक होगी। ये दो पार्टियां हैं सीबीआई और ईडी जोकि तलवारवाद पैदा कर रही हैं। जिससे साल 2024 तक सबको पता चलेगा कि कितने क्षेत्रीय दल रहेंगे या बर्बाद होंगे। लेकिन धीरे-धीरे ये तलवारवाद अब अंतवाद की ओर आ जाएगा। उन्होंने क्षेत्रीय दलों की मजबूती की जोरदार वकालत की।

वरिष्ठ संपादक विजय चोपड़ा ने  देश की आज़ादी से आधुनिक भारत के विकास पर जहां राजनीतिक दलों की भूमिका पर प्रकाश डाला वही किताब में क्षेत्रीय दलों के उदय को लेकर प्रस्तुत जानकारी के लिए उन्होंने लेखक की सराहना की। उन्होंने कहा किकोई भी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री रहा हो, उसने हमेशा देश को कुछ ना कुछ दिया है और देश के लिए बहुत से काम किए हैं।