विपरीत परिस्थितियां ही मानव को मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं: प्रो सोनिया मालिक 

मानसिक स्वास्थ्य पर गुजवि में कार्यशाला आयोजित। 

विपरीत परिस्थितियां ही मानव को मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं: प्रो सोनिया मालिक 

हिसार, गिरीश सैनी (ऋषि की आवाज़ ब्यूरो)। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की प्रथम महिला वंदना बिश्नोई ने कहा है कि युवाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है।  मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर ही देश का युवा खुद को और समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ पाएगा और उनके समाधान में अपना योगदान दे पाएगा। डा. वंदना बिश्नोई मंगलवार को गुजवि के सेंटर फॉर काऊंसलिंग एंड वैल बींग के सौजन्य से ‘युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य : चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रही थी।  कार्यशाला की अध्यक्षता सैंटर के निदेशक प्रो. संदीप राणा ने की।  मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ अर्जुन गुप्ता तथा महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से प्रो. सोनिया मलिक कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे।

डा. वंदना बिश्नोई ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं शिक्षण संस्थानों में अत्यंत आवश्यक है। कार्यशाला के प्रतिभागियों से कार्यशाला के संबंध में फीडबैक लिया जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की कार्यशालाओं के विषयों के चुनाव में और अधिक मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में युवा जिस प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं वे पहले से अलग हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।  

विषय विशेषज्ञ प्रो. सोनिया मलिक ने अपने संबोधन में कहा कि अपनी जिंदगी का स्टेयरिंग अपने हाथ में रखें।  हर रात के बाद सवेरा आता है।  विपरीत परिस्थितियां ही मानव को मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं।  हर व्यक्ति के अंदर एक विशेष गुण होता है।  इस गुण को विकसित करने की जरूरत है।  अपने आप को कभी भी किसी से कम ना आंकें।  महामानव बनने की जरूरत नहीं है।  मानव ही बने रहें तो बेहतर है। अर्जुन गुप्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के समक्ष केरिअर तथा रिलेशनशिप मुख्य चुनौतियां हैं।  उन्होंने युवाओं से कहा कि वे समस्याओं को दबाए नहीं, उनसे डरें नहीं, बल्कि समझें।  अपने साथियों के व्यवहार में आने वाले परिवर्तनों पर नजर भी रखें।  सलाह से ज्यादा समस्याओं के बारे में सुनना जरूरी है।  यह जान लें कि मैं कौन हूं। हमारे खुद की पहचान हमारे अस्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू है।  उन्होंने प्रतिभागी युवाओं के प्रश्रों के उत्तर भी दिए।  प्रतिभागियों ने अपने निजी जीवन तथा उनसे संबंधित समस्याओं के बारे में कई महत्वपूर्ण प्रश्न किए।  जिनके समाधान का रास्ता विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया।  

सैंटर के निदेशक प्रो. संदीप राणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष की आयु से कम है।  ये युवा देश का गौरव, आशा और उम्मीद हैं। मन से मजबूत युवा ही बेहतर भारत का निर्माण कर पाएंगे। उन्होंने युवाओं से कहा कि जीवन में जीवन से बड़ा कुछ नहीं है।  सकारात्मक सोचें, मन को खोलना सीखें तथा सकारात्मक बदलावों के लिए अपनी आदतों व धारणाओं में बदलाव लाएं।  धन्यवाद प्रस्ताव सैंटर के सहायक निदेशक प्रो. राकेश बहमनी ने प्रस्तुत किया।