समाचार विश्लेषण/पश्चिमी बंगाल और राजधर्म
-कमलेश भारतीय
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार ममता बनर्जी ने शपथ ग्रहण की । सादे समारोह में । महामहिम राज्यपाल महोदय ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार संविधान और कानून के हिसाब से चलेगी। लोग बंगाल को लेकर चिंतित हैं । जो हिसा शुरू हुई है , वह लोकतंत्र के लिए खतरा है । मुझे पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री तुरंत ही राज्य में कानून का राज लागू करेंगीं । मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों को भी नुक्सान पहुंचा है । उनकी मदद की जायेगी।
इस पर राजभवन से जाने से पहले ममता बनर्जी ने भी प्रोटोकाॅल तोड़ कर जवाब दिया कि अभी तीन माह तक तो राज्य की पूरी सरकार चुनाव आयोग के हाथ में थी । चुनाव आयोग ने इस दौरान अनेक अफसरों का तबादला किया । ऐसे अफसरों की नियुक्ति भी की , जिन्होंने कोई काम नहीं किया । अब मैं कमान संभाल रही हूं । कड़ी कार्रवाई करूंगी । मैं लोगों से शांति बनाये रखने की अपील करूंगी।
यहीं से राजधर्म पर चर्चा शुरू हो गयी। ऐसा प्रोटोकाॅल है कि महामहिम राज्यपाल के बाद कोई भाषण नहीं होता लेकिन जो सवाल उठाये और शंकायें जाहिर कीं तो मुख्य मंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई । राज्यपाल वैसे भी केंद्र की ओर से नियुक्त किये जाते हैं और वे केंद्र व राज्य के बीच महत्तवपूर्ण कड़ी होते हैं । फिर भी राज्यपालों के विवाद समय-समय पर होते रहते हैं । अभी राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा सत्र बुलाने की मांग को लेकर राज्यपाल ने कितने पैंतरे आजमाये और कानून गिनाये लेकिन आखिरकार सत्र बुलाने पर विवश हुए प्रोटोकाॅल के तहत । राज्यपाल पद पर सुशोभित व्यक्ति को महामहिम कहलाये जाने लायक अपनी गरिमा बनाये रखनी चाहिए नहीं तो सामने ममता बनर्जी जैसी मुख्यमंत्री भी प्रोटोकाॅल का उल्लंघन कर सकती हैं और किया ।
दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा के नव निर्वाचित विधायकों को गणतंत्र बचाने की शपथ दिला रहे थे । गोदी मीडिया लगातार दो फ्रेम दिखा रहा था । एक ओर ममता बनर्जी का शपथ ग्रहण समारोह और दूसरी ओर भाजपा विधायकों का शपथग्रहण समारोह । यह सिर्फ पश्चिमी बंगाल में ही नहीं हुआ बल्कि देश भर में ऐसे धरने प्रदर्शन किये जाने का आह्वान किया गया था । हरियाणा में भाजपा नेताओं ने कोरोना काल की परवाह न करते हुए सांकेतिक धरने दिये लेकिन विपक्ष के निशाने पर आ गये। हिसार में ही भाजपा के सांकेतिक धरने पर सवाल उठाये जा रहे हैं कि जब लाॅकडाउन लगा हुआ है और चार से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो सकते तब भाजपा नेताओं को इकट्ठे क्यों होने दिया गया और पुलिस सिपाही लगाये गये सौ । तो कोरोना काल इनके लिए नहीं था ? जवाब आया कि सांकेतिक धरने के लिए प्रशासन से इजाजत लेने की जरूरत नहीं थी । सारे कानून आपके , क्योंकि आप सत्ता मे हो और हर कानून से ऊपर ? ऐसा तो नहीं होना चाहिए । यह तो राजधर्म नही है । सबका साथ , सबका विकास नहीं है । गोदी मीडिया ने अभी तक अपना रोल नहीं बदला । वहीं ढाक के तीन पात । सच से रूबरू नहीं करवाओगे तो कोरोना आपको भी छोड़ नहीं देगा और छोड़ नहीं रहा। कम से कम अब तो चेत जाइए । जो सच है वह दिखाइए और लिखिए । कानून सबके लिए एक है । विपक्ष पूछ रहा है जब लाॅकडाउन था तो बैनर कहां से बन गये ? सवाल है । यानी आप लाॅकडाउन खुलवा सकते हो और आम आदमी पर पुलिस की मार पड़ रही है ।
राजधर्म पर विचार जरूरी है ।
Kamlesh Bhartiya 

