समाचार विश्लेषण/वोट , मुफ्त राशन और वादे 

समाचार विश्लेषण/वोट , मुफ्त राशन और वादे 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भाजपा को जनता का वोट चाहिए तब वह मुफ्त में राशन , तेल , चना ही नहीं नमक तक देती है लेकिन वोट पाने के बाद ये सब फायदे गायब हो जाते हैं और जनता ठगी रह जाती है । मैनपुरी में डिम्पल यादव की बम्पर वोटों की जीत से गद्गद अखिलेश ने कहा कि भाजपा को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा । 
खैर ! बात करते हैं मुफ्त राशन और मुफ्त देने के वादों की ! क्या खुद अखिलेश भूल गये कि उन्होंने छात्राओं को मुफ्त साइकिलें और लैपटॉप तक बांटे थे ? नहीं भूलना चाहिए न । बिल्कुल भी नहीं भूलें अखिलेश जी ! वह पैसा कहां से आया था ? जनता के पैसे को मुफ्त में क्यों लगाया ? वैसे मुफ्त के वादे करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सबसे आगे कहे जा सकते हैं । दिल्ली में बिजली , मैट्रो और क्या क्या मुफ्त ! पंजाब में भी तीन सौ यूनिट तक बिजली फ्री ! मुफ्त के वादों के जनक माने जा सकते हैं अरविंद केजरीवाल ! इनकी तर्ज पर और देखादेखी कांग्रेस ने भी पंजाब में बिजली फ्री देने का वादा किया था लेकिन मुफ्त का भरोसा अरविंद केजरीवाल पर किया पंजाब की जनता ने ! सरकार बनवा दी ! अभी केजरीवाल दूसरे प्रदेशों में भी मुफ्त का यह माॅडल लेकर जा रहे हैं । गुजरात माॅडल के मुकाबले आप पार्टी का मुफ्त माॅडल ! है न जोरदार मुकाबला ? 
राजनीतिक दल चुनावों में वादे करते हैं । इन दिनों हरियाणा में चुनाव से काफी पहले से ही वादों की बौछार की जा रही है । चाहे कांग्रेस हो या जजपा ! जजपा ने भिवानी में स्थापना दिवस पर रैली की तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने वादों की झड़ी लगा दी । आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अनेक वादे किये । इस तरह वादों की रफ्तार बढ़ती जा रही है । अभी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि दिल खोलकर अपने काम करवा लो ! ल्यो भाई अब तो दिल ही खोल कर रख दिया , करवा लो जो जो करवाना है ! 
तमिलनाडु की अम्मा यानी जयललिता की अम्मा कैंटीन क्या कम लोकप्रिय रही ! वैसे मुफ्त जैसी कैंटीन देने की कोशिशें फेल रहीं ! ये मुफ्त के खेल बहुत खतरनाक हैं आर्थिक व्यवस्था के लिए ! इस पर राजनेता वादे करते समय ध्यान नहीं देते ! आखिर कौन सा अलाउद्दीन का चिराग लाओगे ? ये आर्थिक घाटा पूरा करने के लिए ? 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।