सफर जिन्होंने यात्रियों को लेखक बना दिया...साहित्य आजतक के मंच पर सुनाए गए यात्राओं अनोखे किस्से  

दिल्ली में साहित्य का सबसेबड़ा मेला चल रहाहै. साहित्य आजतकके तीन दिनके कार्यक्रम मेंसिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-मानेचेहरे हिस्सा ले रहेहैं. कार्यक्रम मेंट्रैवलर और लेखकउमेश पंत, अनुराधा बेनीवाल और पल्लवी त्रिवेदी भी शामिल हुईं. सभीने यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.  

सफर जिन्होंने यात्रियों को लेखक बना दिया...साहित्य आजतक के मंच पर सुनाए गए यात्राओं अनोखे किस्से  
Anuradha Beniwal at Sahitya Aaj Tak.

दिल्ली में साहित्य का सबसेबड़ा मेला चल रहाहै. साहित्य आजतकके तीन दिनके कार्यक्रम मेंसिनेमा, संगीत, सियासत, संस्कृति और थिएटर से जुड़े जाने-मानेचेहरे हिस्सा ले रहेहैं. कार्यक्रम मेंट्रैवलर और लेखकउमेश पंत, अनुराधा बेनीवाल और पल्लवी त्रिवेदी भी शामिल हुईं. सभीने यात्रा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.  

 

शब्द-सुरों के महाकुंभ, साहित्य आज का आज दूसरा दिन है. साहित्य का ये मेलातीन दिन का है, जो 18 से 20 नवंबर तक दिल्ली के मेजरध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम मे लगाहुआ है. इस कार्यक्रम में ऐसेसाहित्यकार भी पहुंचे, जिन्हें यात्राएं करने का शौकहै, जो असलमें यात्राओं के अनुभव अपनी किताबों में लिखते हैं.   

 

जी ले ज़रा' नाम के सेशनमें हिस्सा लेनेपहुंचे थे अनुराधा बेनीवाल (Anuradha Beniwal), उमेशपंत (Umesh Pant) और मध्यप्रदेश पुलिस मेंएआईजी पल्लवी त्रिवेदी (Pallavi Trivedi). पत्रकार नेहाबाथम ने उनसेसवाल-जवाब किए. 

 

उमेशपंत ट्रैवलर हैंऔर लिखते भी हैं. यात्रा क्यों जरूरी है इसपरशुरुआत उन्होंने अपनीलिखी हुई कविता से की. उन्होंने कहा- 

 

कैदहैं सब, सबको ये राजछुपाना होताहै, सबकेपास ही अपनाएक बहाना होता है, 

दुनिया वाले जहांजकड़कर रखतेहैं हमको, अपने अंदरही तो वो तहखाना होता है,  

दिखती नहीं हैंहथकड़ियां तब भी वो होतीहैं, आजादी का बहुतअलग पैमाना होता है, 

जानेदो ये दुनिया तुमको नहींसमझ सकती, सबसे पहलेखुद को ये समझाना होता है,  

सबकीशर्त को पूरान कर पानाही आखिर, अपनी शर्तपे जीनेका हर्जाना होता है, 

खुदसे गर मिलना हो तो एक शर्तहै छोटीसी, आपकोअपने आप से बाहरआना होताहै.  

 

दिल्ली और मुंबई में क्या फर्क है?  

नेहाने उमेश से सवालकिया कि दिल्ली और मुंबई में क्याफर्क है. इसपरउन्होंने कहा 'मुंबई में रातके 12 बजे एक लड़की स्कूटी चलारही थी. सेफ्टी का ये सेंसमुंबई ही आपकोदेता है, ये दिल्ली आपको नहींदेता. यही मुख्य फर्क है.'  

 

'एक जगह पर मुझे घुटन महसूस होती है'  

 

अनुराधा बेनीवाल, अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शतरंज खिलाड़ी हैं, कोच हैं, ट्रैवलर हैं और लिखती भी हैं. उनसे जब यात्राओं पर सवालकिया गया कि तो उन्होंने कहा- 'मुझेसफर सही रखताहै. मुझे लंबेसमय तक एक जगहठहरना ठीक नहींरखता. एक जगहपर मुझे घुटनमहसूस होती है और किसको नहीं होतीहै. मेरे पासये अवसर हैंकि मैं यात्रा कर सकूं, तो मैं करतीहूं.'  

 

उन्होंने कहा कि अपनेकंफर्ट ज़ोन मेंरहना मुझे अनकंफर्टेबल करता है. इसलिए बाहर निकलना उनका कंफर्ट जोन है. उन्होंने कहा कि नयादेखना,  नयामहसूस करना खुशीदेता है. उन्होंने दो किताबें लिखीं जिसके बारे मेंउन्होंने बताया. उन्होंने 2016 में 'आजादी मेरा ब्रांड' किताब लिखी. उन्होंने कहा कि उनकेलिए यात्रा करनाएडिक्शन है.  

 

वो यादगार सफर...   

 

यात्रा के कभीन भूलने वालेपलों के बारेमें  सभी यात्रियों से सवालकिए गए. उमेशने अपनी किताब 'इनरलाइन पास' के बारे मेंबताते हुए कहाकि वे आदिकैलाश गए थे और वापसी पर मौसमखराब हो गयाथा. तब उन्होंने देखा कि एक पहाड़ बह रहाथा, उसपर ढेरों पत्थर थे जो बहतेहुए आ रहेथे. जिस पुलसे उन्हें गुजरना था वो आखोंके सामने ही बह गया. शाम का वक्तथा. उन्होंने कहाकि उनके पासतब कुछ नहींथा. तब उन्होंने जंगल मेंरात गुजारी थी.  वहीं अनुराधा ने कहाकि जब उन्होंने पहली बारसिक्किम में कंचनजंगा को देखा, तो उसे देखकर ऐसी अनुभूति हुई कि आप बहुतछोटे हो गए हो, आपसे भी बहुतबड़ा कुछ है. ये लिबरेटिंग फीलिंग हैं.  

 

भूटान के लोग इतने खुश इसलिए हैं क्योंकि... 

 

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पल्लवी त्रिवेदी एक शानदार लेखक हैं. उनसे पूछा गयाकि वे इतनीव्यस्त रहने के बादलिखने का समयकैसे निकाल लेतीहैं. उन्होंने बताया कि किसीबात के लिएकोई एक्सक्यूज़ नहीं. जो काम हम करनाचाहते हैं, उसकेलिए अपने आप समयनिकलता है. कोईकभी उतना व्यस्त नहीं होता, सभी को 24 घंटेही मिले हैं, समय अपने आप निकलता है.   

 

उनसेभी यात्रा से जुड़े संस्मरण पूछेगए. उन्होंने अपनीपुस्तक 'खुशदेश का सफर' पर बात की. उन्होंने बताया कि इस किताब में भूटान की यात्रा का जिक्र है. हैपिनेस इंडेक्स की बातकरें तो ये देशबहुत समृद्ध है. 4 दोस्तों ने भोपाल से भूटान का सफररोड़ पर ही कियाथा. वहां 7 दिनबिताए. हां देखाकि वह जगहइतनी खुशनुमा क्यों है. उन्होंने कहा- 'हमने वहांजो जाना, उससेये पता लगाकि हम सिर्फ भाग रहेहैं, हमें संतुष्टि नहीं मिलरही, जबकि  उस जगहके लोगों से आप पैसेसे उनका समयनहीं खरीद सकते. वे आपको यहीकहेंगे कि वे संतुष्ट हैं. वे उन चीजों के लिएसमय देते हैंजो उन्हें पसंदहै. अगर पैसेसे वो चीजछूट रही है, तो ऐसा पैसाउन्हें नहीं चाहिए.' उन्होंने बताया कि मैंने बहुत लोगों से पूछाकि आप इतनेखुश क्यों हैं. जवाब मिला कि यहांहर व्यक्ति दूसरों को खुशकरने के बारेमें सोच रहाहै, इसलिए सब खुशहैं वहां.  

 

यात्रा करना महंगा नहीं है 

 

अनुराधा ने कहाकि मैं नौकरी नहीं करती, क्योंकि वहां खुशीनहीं मिलती.  ने वहींचुना जो मुझेखुशी देता है. उन्होंने बताया कि वे यात्रा बहुत करतीथी और वहांकी कहानियां लोगों को सुनाती हैं. इसलिए उन्होंने लिखना शुरू किया. उन्होंने बताया कि उन्हें लगता था कि यात्रा करने मेंबहुत पैसे लगतेहैं. लेकिन उन्होंने पाया कि ऐसानहीं है. उन्होंने कहा कि पहलीकिताब का मकसदही यही था कि इस मिथतो तोड़ा जाएकि यात्रा करनामहंगा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने हिच हाइकिंग करके, 1 लाखरुपए में 10 देशों की यात्रा की.