दिव्यांगता को लेकर विश्व भ्रमण पर निकला वरिष्ठ नागरिक का नगराधीश ने सचिवालय में किया स्वागत

दिव्यांगता को लेकर विश्व भ्रमण पर निकला वरिष्ठ नागरिक का नगराधीश ने सचिवालय में किया स्वागत

रोहतक, गिरीश सैनी। अगर इंसान के अंदर समाज सेवा करने का जज्बा हो तो वह किसी भी उम्र में समाज सेवा कर सकता है। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए एक मिशन के रूप में कार्य करें तो सफलता जरूर मिलती है। ये कहना है हारोहल्ली, रामनगर (कर्नाटक) निवासी 65 वर्षीय बी वी नारायणा का। कोई भी व्यक्ति अज्ञानता के चलते दिव्यांग न बने, इस संदेश के साथ बीवी नारायणा मोटर चालित तिपहिया वाहन पर विश्व भ्रमण के लिए निकले हुए हैं। बीवी नारायणा स्वयं दिव्यांग है, उनके सीधे पैर का लिगामेंट टूटा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद भी उनके हौसले में कोई कमी नहीं है। रोहतक के लघु सचिवालय पहुंचने पर नगराधीश अंकित कुमार ने इस वरिष्ठ नागरिक का स्वागत किया और उनके जज्बे को सलाम किया।

 

नगराधीश अंकित कुमार ने कहा कि ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो समाज सेवा की भावना को लेकर व्यक्तिगत तौर पर इस प्रकार के मिशन पर निकलते हैं। बीवी नारायण ने अपने तिपहिया वाहन की सीटों व अन्य स्थानों पर लोगों को जागरूक करने के संदेश लिखे हैं। उनके संदेश में कहा गया है कि छोटे बच्चों को अभिभावक वाहन न दें। अगर कोई व्यक्ति नशा करके वाहन चलता है, तो उसको दिव्यांग बनने की आशंका बढ़ जाती है। वाहन चलाते समय मोबाइल का फोन इस्तेमाल न करें। इसके साथ ही दिव्यांगों को भी संदेश दिया है कि वह आवश्यकताओं में छूट लेने की कोशिश ना करें। गुणवत्ता वाले उपकरण ही खरीदे ताकि कोई भी असुविधा न हो। इसके साथ ही बीवी नारायणा ने अन्य संदेश में कहा है कि अभिभावक अपने बच्चों को समय पर पोलियो ड्रॉप्स पिलवाएं। दूसरे संदेश में कहा गया है कि विवाह से पहले दोनों लडक़ा व लडक़ी ब्लड ग्रुप की जांच करवाए।

 

बीवी नारायण ने 24 मार्च को अपने जिला रामनगर के हारोहल्ली स्थान से इस यात्रा को आरंभ किया था। वह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब को कवर करते हुए अब हरियाणा में आ चुके हैं। इसके बाद वे दिल्ली जाएंगे जहां से कनाडा का वीजा प्राप्त करेंगे। इस प्रकार से विश्व भ्रमण करते हुए कनाडा पहुंचेंगे और फिर उनकी वापसी होगी। बीवी नारायणा वर्ष 2014 में उस समय दिव्यांग हो गए थे, जब वह पैदल जा रहे थे और दो युवाओं ने बाइक रेस लगाते हुए उन्हें दुर्घटनाग्रस्त कर दिया था। बीवी नारायणा इससे पहले 1978 में शांति, भाईचारा व दिव्यांगता को लेकर देशभर में साइकिल के माध्यम से यात्रा कर चुके हैं।