भारतीय ज्ञान परंपरा में स्वरोजगार का दर्शन विद्यमान हैः कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल  

भारतीय ज्ञान परंपरा में स्वरोजगार का दर्शन विद्यमान हैः कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल  

हिसार, गिरीश सैनी। चौ. बंसीलाल यूनिवर्सिटी भिवानी के कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल ने कहा है कि भारतीय ज्ञान परंपरा में स्वरोजगार का दर्शन विद्यमान है। भारतीय ज्ञान परंपरा का पंचकोश का सिद्धांत किसी बड़े उद्देश्य को पाने में सहायक है। मनुष्य को वो काम करना चाहिए, जिससे समाज व राष्ट्र को फायदा मिले तथा उसे स्वयं को भी खुशी मिले।

प्रो. मित्तल शुक्रवार को गुजविप्रौवि में बीटेक विद्यार्थियों के इंडक्शन प्रोग्राम के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। कार्यक्रम में कुलपति के सलाहकार प्रो. संदीप राणा,  इंडक्शन प्रोग्राम संयोजक प्रो. अंजन कुमार बराल तथा उप संयोजक डॉ. संजीव माथुर भी मौजूद रहे।

मुख्य अतिथि प्रो. राजकुमार मित्तल ने कहा कि भारत विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है। आजादी की 100वीं वर्षगांठ 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में शामिल करना युवाओं की जिम्मेवारी है। उन्होंने युवा विद्यार्थियों से कहा कि वे रोजगार चाहने वालों की बजाय रोजगार देने वाले बनें तभी भारत एक समृद्ध एवं संपन्न राष्ट्र बन सकेगा तथा बेरोजगारी की समस्या भी खत्म हो सकेगी। प्रो. मित्तल ने कहा कि भारतीय जीवन व्यवस्था पर्यावरण संरक्षक है।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि गुरु जंभेश्वर महाराज के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण के लिए निर्धारित अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने विद्यार्थियों को पुस्तकालय की व्यवस्थाओं का अधिक से अधिक प्रयोग करने की सलाह भी दी।

प्रो.संदीप राणा ने कहा कि उद्देश्यों की प्रति स्पष्टता, उन्हें प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम तथा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।

प्रो. अंजन बराल ने इंडक्शन प्रोग्राम की रिपोर्ट पेश की। विषय विशेषज्ञों ने संबंधित विषयों पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। धन्यवाद संबोधन डॉ. संजीव माथुर ने दिया। इस दौरान शिक्षक संयोजकों तथा विद्यार्थी संयोजकों को भी सम्मानित किया गया।