जागरूकता, योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन प्रक्रिया में अधिक जिम्मेदारी से भूमिका निभाएं पंचायत प्रतिनिधिः एडीसी नरेंद्र कुमार
हरियाणा के ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर विस्तार व्याख्यान आयोजित।

रोहतक, गिरीश सैनी। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर एमडीयू के लोक प्रशासन विभाग द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रूरल डेवेलपमेंट एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के सहयोग से - हरियाणा के ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका विषय पर एक विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
रोहतक के अतिरिक्त उपायुक्त नरेंद्र कुमार ने बतौर मुख्य वक्ता इस कार्यक्रम में शिरकत की। विभागाध्यक्ष प्रो. सेवा सिंह दहिया ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया तथा व्याख्यान की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता एडीसी नरेंद्र कुमार ने अपने व्याख्यान में पंचायती राज संस्थाओं की वर्तमान स्थिति एवं उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं को अपनी शक्तियों एवं कार्यों की सम्पूर्ण जानकारी नहीं होती, जिस कारण वे हमेशा एक मांग की स्थिति में रहती हैं और विकास की प्रक्रिया में पिछड़ जाती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विकास के लिए धन की कमी नहीं है, परंतु समस्या यह है कि पंचायतें यह नहीं जानती कि उस धन का उचित उपयोग कैसे और कहां करना है।
एडीसी नरेन्द्र कुमार ने कहा कि प्रशासन ग्रामीण विकास के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहा है, लेकिन स्थानीय संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना विकास की गति को तेज नहीं किया जा सकता। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को जागरूकता, योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन की प्रक्रिया में अधिक जिम्मेदारी से भूमिका निभाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि पंचायती राज संस्थाएं ग्रामीण जनता के सबसे निकट होती हैं और यदि वे अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों को समझें तो हरियाणा के ग्रामीण विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने उपस्थित जन को उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किस प्रकार ग्रामीण जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रभावित कर सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
प्रो. सतबीर सिंह चाहर ने कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी कविता ने किया। इस दौरान डॉ. राजेश कुंडू, डॉ. जगबीर नरवाल, डॉ. समुन्द्र सिंह, डॉ. सुमनलता सहित शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।