समाचार विश्लेषण/पद्मश्री या विवादश्री कंगना?

समाचार विश्लेषण/पद्मश्री या विवादश्री कंगना?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
कंगना के कटोरे में भीख में मिली सन् 1947 की आजादी के बयान से यह सवाल सहज ही उठता है कि कंगना पद्मश्री है या विवादश्री ? यों कंगना और विवादों का पुराना नाता है । खुद ड्रग्स सेवन की बात स्वीकार कर सुशांत के बाद ड्रग्स को लेकर खूब विवाद में रही कंगना । रितिक रोशन और अध्ययन सुमन के साथ अफेयर्ज ने भी इसे खूब विवादों में रखा और अब अध्ययन सुमन तो कंगना का जिक्र आने पर बस हाथ जोड़ कर माफी मांग लेता है । रितिक के साथ कानूनी लड़ाई भी चली । मुम्बई निगम के साथ अपने ऑफिस को लेकर खूब लड़ी मर्दानी और जैड सिक्योरिटी की हकदार बन गयी । मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर क्या डायलाॅग मारा -तुमने मेरा घर तोड़ा, तेरा अहम् भी एक दिन टूटेगा । कभी राज्यपाल से मिलने गयी तो पूरे लाल लश्कर के साथ नेताओं की तरह । चर्चा भी है कि कंगना भाजपा कभी भी ज्वाइन कर सकती है । 
खैर , पद्मश्री मिलते ही ऐसे घिरी कि मुहावरा याद आ गया -सिर मुंडाते ही ओले पड़े । पहले वरूण गांधी ने आवाज उठाई कि इस बयान को पागलपन कहूं या राजद्रोह? आज राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी इससे एक कदम आगे बढ़कर कंगना से पद्मश्री वापस लेने की मांग पर आ गयी । राकांपा ने मांग की है कि एक्ट्रेस कंगना को प्रदान पद्मश्री सम्मान स्वतंत्रता पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के चलते वापस ले लिया जाये । यही नहीं कंगना के खिलाफ केस भी दर्ज किया जाये । वैसे यह समाचार भी आया है कि इस बयान को लेकर राजस्थान में कंगना पर केस दर्ज करवा भी दिया गया है । वाह । विवादों की रानी कंगना । मज़ेदार बात कि कंगना के राज्य हिमाचल में भी इसके बयान पर कोई समर्थन देने नहीं आया बल्कि भारी विरोध हो रहा है । वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानु ने एक इंटरव्यू में जमकर विरोध किया है और कहा कि असल में कंगना इस योग्य ही नहीं । सोशल मीडिया पर किसी ने लिखा है कि कंगना , आज़ादी तो भीख में नहीं मिली पर पद्मश्री जरूर तुम्हें भीख में मिला है ।
ऐसी ही मांग हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी की है कि देश की आज़ादी को लेकर दिये गये बयान पर कंगना को दिये गये पद्मश्री सम्मान को वापस लिया जाये क्योंकि यह बयान स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियां का अपमान है । श्री हुड्डा ने कहा कि वर्षों के संघर्ष और अनगिनत कुर्बानियों के बाद देश को आजादी मिली थी न कि कोई भीख । कंगना ने शायद स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में पढ़ा नहीं है । तभी उसने भीख में आजादी मिली जैसी बात कहते संकोच नहीं किया । हमारे पिता चौ रणबीर सिंह हुड्डा भी स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल रहे और जेल यात्रायें भी कीं । कंगना से यह सम्मान वापस लिया जाये । 
वैसे भी यह सवाल भी उठने लगा है कि यदि सन् 1947 की आजादी भीख थी तो फिर आजादी का अमृत महोत्सव किसलिए मनाया जा रहा है ? 
सीधी और स्पष्ट बात है कि पद्मश्री वापस नहीं होने वाला । आप याद कीजिए साध्वी प्रज्ञा के गोडसे व महात्मा गांधी को लेकर दिये बयान जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह तो जरूर कहा कि मैं इस सांसद को माफ नहीं कर सकता लेकिन इस्तीफा नहीं मांगा । याद कीजिए लखीमपुर खीरी कांड । अभी तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा से किसी ने इस्तीफा नहीं मांगा । सुप्रीम कोर्ट इस कांड की जांच की गति से नाखुश रहे तो रहे । 
राजनीति में इस्तीफे या सम्मान वापसी की मांग की जाती है लेकिन सामने वाले इसे न सुनता , न पढ़ता और न किसी चैनल पर देखता ,,,,भैया लोगो अब तो पद्मश्री ले गयी जैसे एकता कपूर ले गयी जैसे कभी अदनान सामी ले गया था -थोड़ा सा तो लिफ्ट करे दे गाते गाते । कंगना को इससे कुछ मिले न मिले लेकिन कुछ मुद्दों से ध्यान तो भटकाने में सफल रही । अब पेट्रोल, डीज़ल व रसोई गैस के बढ़े या घटे दामों पर चर्चा थम गयी । शायद यही छुपा एजेंडा था । बाकी देश फिर भी चलता रहेगा ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।