हिंदी-विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के सहयोग से ‘डॉ. धर्मपाल मैनी की आलोचना दृष्टि’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय के मुल्क राज आनंद आडिटोरियम में किया गया। 

हिंदी-विभाग द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

चंडीगढ़ 1 सितंबर, 2025: हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के सहयोग से ‘डॉ. धर्मपाल मैनी की आलोचना दृष्टि’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय के मुल्क राज आनंद आडिटोरियम में किया गया। 

उद्घाटन समारोह में संगोष्ठी संयोजक एवं हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार तथा संकाय सदस्य प्रो. बैजनाथ प्रसाद एवं प्रो. गुरमीत सिंह ने अतिथिगण  का पुष्पगुच्छ भेंट कर, स्वागत किया। 

उद्घाटन भाषण देते हुए डायरेक्टर रिसर्च, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ प्रो. मीनाक्षी गोयल ने इस कार्यक्रम के लिए विभाग को बधाई दी और कहा कि धर्मपाल मैनी न केवल हिंदी-विभाग बल्कि हमारे विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध विद्वान थे जिन्होंने पंजाब और भारत की संस्कृति के लिए बहुमूल्य योगदान दिया। इस सत्र में बीज वक्ता के रूप में डॉ. नीरू (प्रो. (सेवानिवृत्त), सी.डी.ओ.ई, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने कहा कि डॉ. धर्मपाल मैनी की आलोचना दृष्टि का प्रस्थान बिंदु मानव मूल्य रहा। उनकी आलोचना दृष्टि सम्यक एवं व्यावहारिक थी। 'मानव मूल्यों का शब्कोश' डॉ. धर्मवीर मैनी जैसा व्यक्तित्व ही लिख सकता है। यह मैनी जी का विराट व्यक्तित्व ही था कि उन्होंने सुसंस्कृत मानव की परिकल्पना को प्रस्तुत किया। 

विशिष्ट अतिथि डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (कार्यकारी उपाध्यक्ष, हरियाणा साहित्य एवं सांस्कृतिक अकादमी, पंचकूला) ने कहा कि उनके व्यक्तित्व की विशेषता यह थी कि वे अपने मूल्यों पर तटस्थ थे। यह विशेषता उनकी आलोचना दृष्टि का भी आधार रही।

इस कार्यक्रम के प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. गुरमीत सिंह (प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने की। इस सत्र के विशिष्ट वक्ताओं के रूप में डॉ. ब्रह्मवेद शर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर (सेवानिवृत्त), हिन्दी-विभाग, डी.ए.वी. कॉलेज, मलोट), डॉ. सुनील (प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी-विभाग, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर), डॉ. सरिता चौहान (अध्यक्ष, हिन्दी-विभाग, एम.सी.एम.डी.ए.वी. कॉलेज, सेक्टर 36, चंडीगढ़), डॉ. रजनी प्रताप (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिन्दी-विभाग, पंजाबी विश्वविद्याल, पटियाला) तथा डॉ. अनीश कुमार (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिन्दी- विभाग, गांधी मेमोरियल नेशनल कॉलेज, अम्बाला) ने डॉ. धर्मपाल मैनी के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर अपने विचार रखे। सत्र के अंत में इस सत्र के अध्यक्ष प्रो. गुरमीत सिंह ने सभी विशिष्ठ वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि धर्मपाल मैनी एक उदार व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जीवन भारतीय ज्ञान परम्परा और गुरु परंपरा के लिए समर्पित था। 

इस कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्यातिथि के रूप में चंडीगढ़ साहित्य अकादमी, चंडीगढ़ के अध्यक्ष डॉ. मनमोहन मौजूद रहे। इस सत्र में सारस्वत अतिथि के रूप में ईश मैनी (पौत्र, स्वः डॉ. धर्मपाल मैनी), प्रो. राजिंदर कुमार सेन (अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा), डॉ. बलवेन्द्र सिंह (प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार, डी.ए.वी. कॉलेज, जालंधर) तथा डॉ. अंकित नरवाल (प्रख्यात साहित्यकार, पंचकूला, हरियाणा) ने धर्मपाल मैनी की आलोचना दृष्टि पर विचार व्यक्त किए। इसके पश्चात सत्र में विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए अध्यापकों तथा धर्मपाल मैनी के छात्रों द्वारा मैनी जी की आलोचना दृष्टि पर शोध-पत्र और प्रस्तुत किए गए। 

समापन भाषण में संगोष्ठी संयोजक एवं हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा, सशक्त भारत, विश्वगुरु भारत के सपने को पूरा करने में गुरु शिष्य परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है तथा डॉ. धर्मपाल मैनी जी ने इस परंपरा का निर्वाह करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कार्यक्रम में विभाग के विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद रहे।