डिजिटल साक्ष्यों की सुरक्षा के लिए नया पेटेंट, साइबर अपराध नियंत्रण में होगा सहायक

रोहतक, गिरीश सैनी। भारत सरकार ने साइबर क्राइम और डिजिटल फ्रॉड से निपटने की दिशा में एमडीयू के कंप्यूटर साइंस एंड ऍप्लिकेशन्स विभाग के शोध कार्य को एक क्रांतिकारी आविष्कार के लिए पेटेंट प्रदान किया है।
इस शोध कार्य का नेतृत्व कंप्यूटर साइंस एंड ऍप्लिकेशन्स विभाग की शोधार्थी दीप्ति रानी, वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. नसीब सिंह गिल और विभागाध्यक्ष प्रो. प्रीति गुलिया ने किया है। कंप्यूटर साइंस एंड ऍप्लिकेशन्स विभाग “डिजिटल इमेज एविडेंस एन्क्रिप्शन फॉर सिक्योर एंड टेम्पर-प्रूफ डिजिटल फॉरेंसिक इन आईओटी” (आवेदन संख्या 202311030951A) शीर्षक से यह पेटेंट भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया है।
शोधार्थी दीप्ति रानी ने बताया कि यह आविष्कार एक तीन-स्तरीय प्रक्रिया प्रस्तुत करता है, जिसमें डिजिटल अपराध साक्ष्यों को पहले उन्नत गणितीय एल्गोरिदम द्वारा एन्क्रिप्ट किया जाता है और फिर ब्लॉकचेन नेटवर्क पर सुरक्षित रखा जाता है। इस तकनीक से न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्य छेड़छाड़-रोधी, प्रामाणिक और पूर्णत: सत्यापनीय रहेंगे।
प्रो नसीब सिंह गिल और प्रो प्रीति गुलिया ने बताया कि यह तकनीक साइबर अपराध, वित्तीय धोखाधड़ी, बौद्धिक संपदा चोरी और गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में नया आयाम जोड़ेगी औऱ डिजिटल साक्ष्यों की गोपनीयता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करेगी।