पारम्परिक धार्मिक आस्था से जुड़ी कला को संरक्षित करने की जरूरतः रघुवेंद्र मलिक

पारम्परिक धार्मिक आस्था से जुड़ी कला को संरक्षित करने की जरूरतः रघुवेंद्र मलिक

रोहतक, गिरीश सैनी। हरियाणा लोक कला संघ, रोहतक के अध्यक्ष रघुवेंद्र मलिक ने कहा है कि पहचान खोती जा रही हरियाणा की पारंपरिक धार्मिक आस्था से संबंधित कला को संरक्षित करने की सख्त जरूरत है। रघुवेंद्र मालिक स्थानीय सिंचाई विश्रामगृह में कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा व हरियाणा लोक कला संघ रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे सांझी उत्सव को लेकर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमारी आस्था के साथ ही कला भी जुड़ी हुई है। उसी का एक उदाहरण सांझी भी है। आज सांझी लुप्त होने के कगार पर खड़ी है, जबकि अन्य प्रदेशों की आस्था से जुड़ी कला का विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि  हरियाणा की पारंपरिक धार्मिक आस्था से जुड़ी सांझी का प्रचार-प्रसार भी अन्य राज्यों में किए जाने को लेकर सांझी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 15 से 24 अक्टूबर तक रोहतक के एनडी स्टूडियो में आयोजित की जा रही सांझी उत्सव प्रतियोगिता में रिकॉर्ड 200 से ज्यादा सांझी कलाकृतियां प्राप्त हो चुकी हैं। 24 अक्टूबर को इसका परिणाम घोषित किया जाएगा।

रघुवेंद्र मलिक ने कहा कि विजेता महिला कलाकारों को प्रथम पुरस्कार के रूप में 51 हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार 31 हजार रुपए, तृतीय पुरस्कार 21 हजार रुपए दिया जाएगा। इसके अलावा 11-11 हजार रुपये के दो सांत्वना पुरस्कार भी दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस नौ दिवसीय कार्यक्रम में सांझी के गीत व सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सांझी हरियाणा की लोक पारंपरिक कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो महिलाओं द्वारा दीवार पर नवरात्रों के दौरान बनाई जाती है। इस कला को बचाने के उद्देश्य से ही सांझी उत्सव और प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर हरियाणा लोक कला संघ, रोहतक के सदस्य हरविंद्र मलिक, नवीन ओहल्याण व सुरेंद्र नरवाल भी मौजूद रहे।