प्रकृति और परंपरा ही सच्चा विकास मार्गः पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश
भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला।
रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू के फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर (एफडीसी) में भारतीय पारंपरिक ज्ञान के संप्रेषण एवं प्रसार विषय पर राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा एसवीएएसटीआईके पहल और भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी के रुसेटअप कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित की गई। इस कार्यशाला में 75 शिक्षण संस्थानों के लगभग 100 प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध पर्यावरणविद, पद्म भूषण से सम्मानित और हिमालयन एनवायरमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (हेस्को), देहरादून के संस्थापक डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने उद्घाटन सत्र की अध्य्क्षता की। कुलसचिव डॉ कृष्णकांत बतौर गेस्ट ऑफ़ ऑनर मौजूद रहे।
पद्म भूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि आज के विकास का मार्गदर्शक तत्व है। उन्होंने कहा कि इस ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए इसे शिक्षण संस्थानों से गहराई से जोड़ना होगा। प्रकृति संरक्षण पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की परंपराएँ प्रकृति और विज्ञान के अद्भुत समन्वय की प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति से जुड़ाव ही सच्चे अर्थों में समृद्धि का मार्ग है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो राजबीर सिंह ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा समावेशी और सतत विकास की भावना को सशक्त करती है। उन्होंने कहा कि आज विकास की परिभाषा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
आयोजन सचिव प्रो सुरेंद्र सिंह यादव ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की विषयवस्तु और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सीएसआईआर की निदेशक डॉ. गीता वाणी ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के वैश्विक महत्व पर विचार रखे। प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीएसआईआर डॉ चारु लता ने आभार जताया। इस राष्ट्रीय कार्यशाला में स्वस्तिक की तरफ से स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गयी। कार्यशाला में दो सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र में आउटस्टैंडिंग साइंटिस्ट, सीएसआईआर प्रो. रंजना अग्रवाल, जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो अश्वनी तिवारी तथा प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीएसआईआर डॉ चारु लता ने प्लेनरी टॉक देते हुए विस्तृत चर्चा की। दूसरे सत्र में ट्रेडिशनल नॉलेज कम्युनिकेशन पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी गयी। सीएसआईआर के सीनियर साइंटिस्ट डॉ परमानंद बरमन, भारतीय राष्ट्रीय युवा विज्ञान अकादमी से डॉ. अश्वनी तिवारी तथा आईसीएआर, करनाल के डॉ. राज मुखोपाध्याय रिसोर्स पर्सन रहे।
Girish Saini 

