दोआबा कालेज में नैशनल साईंस डे मनाया गया

दोआबा कालेज में नैशनल साईंस डे मनाया गया
दोआबा कालेज में आयोजित सैमीनार में श्री सरवेश चड्डा उपस्थिति को सम्बोधित करते हुए ।

जालन्धर, 1 मार्च, 2024: दोआबा कालेज की फैक्लटी ऑफ साईंसिस द्वारा नैशनल साईंस डे मनाया गया जिसका इस वर्ष का थीम स्वदेशी तकनीकों के द्वारा विकसित भारत का निर्माण था । इसमें संस्कृत भारतीय एनजीओ के श्री सरवेश चड्डा बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनंनद प्रि. डॉ. प्रदीप भण्डारी, प्रो. के.के. यादव, डॉ. अर्शदीप सिंह, प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने किया ।

उपस्तिथि का स्वागत करते हुए प्रि. डॉ. प्रदीप भण्डारी ने कहा कि उपरोक्त थीम के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में देश में इनोवेशन और ऐंट्रप्रोनोरशिप पर विशेष बल दिया जा रहा है जिसका नतीजा है कि नई तकनीक और नई तरह के बिजनेस प्रफुल्लित हो रहे हैं । उन्होंने कहा कि यूजीसी के द्वारा इण्डियन नॉलेज सिस्टम को पुर्नजीवत करने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं । इसी कड़ी में आज कॉलेज में भारतीय संस्कृति जो विज्ञान पर आधारित है पर मंथन करने के लिए इस व्याखान का आयोजन किया गया है ।

सरवेश चड्डा ने कहा कि प्राचीन काल में मानव समय व महीनों का अंदाज़ा सूर्य की परछाई एवं चाँद के बदलते रंग का मूल्यांकन करके ही किया करता था जो साबित करता है कि उस काल में भी विज्ञान के सिद्धांत काफी प्रचलित थे । उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में भारत में विज्ञान अपनी चर्म सीमा पर था परन्तु आम जन मानस और विज्ञान को जोड़ने वाले संस्कृत भाषा के सेतु को तोड़ दिया गया जिससे वर्तमान समय में हम उस विज्ञान से वंछित रह गये हैं । उस काल में महीनों के नामकर्ण की प्रणाली भी भारतीय विज्ञान की पद्दति से ही उपजी थी तथा धरती के सूरज के इर्द-गिर्द परिक्रमा करने की प्रक्रिया के गहण अध्ययन करने के उपरांत ही राशियों के बारे में बताया जाता था । उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों ने प्रश्नोत्तरकाल में वक्ताओं से स्वाल पूछ कर अपनी जिज्ञासा को शाँत किया ।

प्रि. डॉ. प्रदीप भण्डारी, प्रो. के.के. यादव, डॉ. अर्शदीप सिंह ने भगवति प्रसाद व सरवेश चड्डा को मोमैंटो देकर सम्मानित किया । डॉ. राकेश कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया ।