भावनाओं और संवेदनाओं को अपनी लेखनी में उकेरने वाले साहित्यकार कमलेश भारतीय जी के नए कहानी संग्रह 'नयी प्रेम कहानी' पर मेरे उद्गार

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कमलेश भारतीय जी की लघु कथाओं के बाद कहानी संकलन 'नयी प्रेम कहानी' पढ़ने को मिला। आप जहां सात-आठ पंक्तियों की लघुकथा में बड़ा संदेश दे जाते हैं, वहीं आपकी बड़ी कहानियां भी पाठकों को अंत तक बांधे रखती हैं। आप की कहानियां आम आदमी की कहानी है। सामाजिक चेतना को जगाने वाली है।

भावनाओं और संवेदनाओं को अपनी लेखनी में उकेरने वाले साहित्यकार कमलेश भारतीय जी के नए कहानी संग्रह 'नयी प्रेम कहानी' पर मेरे उद्गार

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कमलेश भारतीय जी की लघु कथाओं के बाद कहानी संकलन 'नयी प्रेम कहानी' पढ़ने को मिला। आप जहां सात-आठ पंक्तियों की लघुकथा में बड़ा संदेश दे जाते हैं, वहीं आपकी बड़ी कहानियां भी पाठकों को अंत तक बांधे रखती हैं। आप की कहानियां आम आदमी की कहानी है। सामाजिक चेतना को जगाने वाली है। आम इंसान की दुविधाएं, परेशानियां इनमें उजागर होती है तो निपटने के उपाय भी आप सुझाते हैं। कहानी संग्रह के आरंभ में प्रसिद्ध साहित्यकारा चित्रा मुद्गल दीदी द्वारा भारतीय जी की कहानियों विशेषताओं का सटीक आकलन किया गया है। चित्रा दीदी की अगर बात करूं तो इतनी वरिष्ठ साहित्यकारा होने के बावजूद भी इतना स्नेह और प्यार लुटाने वाली है कि मन उनके प्रति श्रद्धा से भर उठता है। किसी भी तरह का गुमान या अपनी श्रेष्ठता का भाव उनके अंदर नहीं देखा मैंने। यही बात उन्हें महान बना देती है। 

11 कहानियों के इस संकलन में पहली कहानी 'कब्रिस्तान पर घर' ने मुझे बहुत प्रभावित किया। ताउम्र अपने बच्चों की बेहतरी के लिए खून पसीना बहाने वाला एक इंसान रिटायर होने के बाद सबकी नजर में नकारा सा क्यों लगने लगता है, अपनी पुरातन संस्कृति को ध्यान में रखते हुए इस मर्म को पहचानना बहुत जरूरी है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वालेबाबू जी का देश के प्रति लगाव और चिंता, व्यवस्था को बदलने की ज़िद नासमझ लोगों को समझ नहीं आता और वे उन्हें पागल तक करार दे देते हैं। अपने ही लोगों के द्वारा उनके मन के मर्म से अनभिज्ञ होना बहुत ही सालता है। 

इसी तरह 'महक से ऊपर' अप्रत्यक्ष रूप से दहेज व्यवस्था पर प्रहार करती है। कहानी में विदेशी चकाचौंध से प्रभावित होकर सत्त बाबू अपनी दो बेटियों का विवाह विदेश में कर देते हैं परंतु उनसे मिलने के लिए हमेशा तरसते रहते हैं। जिस तरह दूध का जला छांछ को फूंक फूंक कर पीता है, उसी तरह सत्त बाबू  भी अपनी तीसरी बेटी का विवाह करने  से पहले फूंक फूंक कर कदम रखना चाहते हैं ‌ लेकिन अंततः देश मे शिक्षा, रोजगार,स्वास्थ्य सुविधा की कमियों को देखते हुए तीसरी बेटी का विवाह भी विदेश में करने का विचार बना देते हैं और रोटी की जरूरत के आगे के माटी की महक फीकी पड़ जाती है। 

इसी तरह कहानी 'कब तक?' भी एक ऐसा सवाल है जो सिर्फ देवेन के नाना नानी का ही नहीं बल्कि हर बेटी के मां-बाप का सवाल है। पति पत्नी के बिगड़ते रिश्ते बच्चों के लिए कितने हानिकारक होते हैं, इस बात को भी कहानी में बहुत ही अच्छी तरह से दर्शाया गया है। 

धुंध में गायब होता चेहरा'' में आरती देवी के काल्पनिक चरित्र के माध्यम से राजनीतिक छद्मवेष के प्रति आगाह किया गया है। बाहरी चमक दमक के वश में होकर कई सीधी-सादी युवतियां इस दलदल में फंस जाती हैं। दशकों से राजनीति में महिलाओं के होने वाले शोषण को दर्शाती सशक्त कहानी है। 

'नई प्रेम कहानी' में एक असफल प्रेम कहानी को बहुत ही  संवेदनशीलता साथ उकेरा है लेखक ने। साथ ही बिलासपुर पहुंचने पर पंडित द्वारा किया जाने वाला व्यवहार धार्मिक पाखंड का बखान करता है, जिसका शिकार हम लगभग सभी धार्मिक स्थलों में बनते हैं। प्रेम में निराश हुए प्रेमी की मन:स्थिति का बहुत ही सुंदर चित्रण कर जाती पाती पर भी प्रहार किया है। पर्वतीय स्थलों का इतना खूबसूरत वर्णन इस बात का प्रतीक है कि भारतीय जी ने पर्वतीय स्थलों की खूब सैर की है। 

'किसी भी शहर में' एक ऐसी कहानी है जिसे हम आज देश के कई शहरों में चरितार्थ होते देख रहे हैं। दंगे फसाद, खून खराबे से दो चार होना हमारे शहरों की नियति बन गयी है। बहुत ही संवेदनशील तरीके से लेखक ने इस बात को उठाया है।
'कब गए थे पिकनिक पर?' लेखक का अपने आप से ही सवाल नहीं है बल्कि मशीनी युग में जी रहे हम सभी को झकझोरा है इस सवाल ने। हम सब अपने कार्यक्षेत्र में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि दिल और दिमाग को आराम देने की बात सोचते ही नहीं।  दैनिक कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए सैर सपाटा, सामाजिक मेलजोल भी बहुत आवश्यक है। इसी तरह 'बस थोड़ा सा झूठ' भी किसी एक परिवार की नहीं बल्कि अनेक परिवारों की कहानी है जहां पर बच्चे बड़े होकर अपने मनमर्ज़ी से चलना पसंद करते हैं। माता-पिता का साथ उन्हें बोझ समान लगने लगता है। 'अतीत से अलग नहीं' भी एक सुंदर पारिवारिक कहानी है जो कर्तव्य बोध के साथ-साथ रिश्तो की सुंदरता को भी बयां करती है। संकलन की अन्य कहानियां भी रोचक और किसी न किसी संदेश दे पूर्ण हैं।
कमलेश भारतीय जी एक प्रख्यात साहित्यकार होने के साथ-साथ बेहतरीन इंसान भी हैं। किसी भी तरह की जिज्ञासा या मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो आप सदैव हाज़िर रहते हैं। इतनी सशक्त कहानियों के माध्यम से समाज को संदेश देने के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाइयां।आप सदा स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें, यूं ही  साधना करते रहें। और हां, हम कनिष्ठों को जब भी मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो आपका वरदहस्त हमारे सिर पर हो, इतना अधिकार तो हम रखते हैं। 

-अमृता पांडे
हल्द्वानी नैनीताल