समाचार विश्लेषण/मोदी मैजिक या खुल जा सिमसिम?

समाचार विश्लेषण/मोदी मैजिक या खुल जा सिमसिम?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्या अब मोदी मैजिक कहीं बचा है ? सिर्फ गुजरात में जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है । हिमाचल में मोदी मैजिक की बजाय प्रियंका बाड्रा गांधी का डंका चला ! इसमें कोई शक हो तो बताओ ? जिसे कम अनुभवी माना गया , उसी प्रियंका ने पहाड़ में राज बदल दिया और रिवाज नहीं बदलने दिया ! भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा अपने गृहराज्य में कमल नहीं खिला पाये ! सिर्फ मंडी ने साथ दिया बाकी सब जगह काग्रेस ने झंडे गाड़ दिये ! भाजपा की बी टीम आप पार्टी को पांव जमाने की जगह भी हिमाचल वालों ने नहीं दी । हिमाचल में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग थी , जिसमें जनता ने कांग्रेस को चुना । क्या इसके साथ भारत जोड़ो यात्रा को जोड़ कर देखा जा सकता है ? या सिर्फ प्रियंका को ही पसंद किया है ? प्रियंका ने तो अपने सपनों का घर भी हिमाचल में ही बनाया है ! क्या उन्हें हिमाचली मान लिया ? 
उत्तर प्रदेश की ओर आइए । बुलडोजर बाबा यानी योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक मैनपुरी में नहीं चला । मुलायम सिंह यादव की बहू डिम्पल  ने दो लाख से भी ऊपर भारी मतों से जीत दर्ज की । इस तरह बुलडोजर का मुंह मोड़कर रख दिया । बेशक डिम्पल की देवरानी अपर्णा ने मोदी का साथ दिया और भाजपा में शामिल है ।
दिल्ली नगर निगम की ओर आइए । पंद्रह साल से निगम पर भाजपा का कब्जा था जिसे अरविंद केजरीवाल ने जीत लिया और कांग्रेस को मुश्किल से खाता खोलने का मौका दिया । शीला दीक्षित के बाद से कांग्रेस के पैर दिल्ली से बुरी तरह उखड़ चुके हैं । विधानसभा में भी और लोकसभा में भी । अब जाकर कुछ सीटें नगर निगम में मिली हैं तो कांग्रेस का अस्तित्व नजर आया है ।
इस सब के बावजूद कैसे कह सकते हैं की मोदी मैजिक चल रहा है ? नहीं । सारे चुनाव मोदी के चेहरे को दिखाकर नहीं जीते जा सकते , यह संदेश जनता ने दे दिया है । अब दूसरे दलों के लिए खुल जा सिमसिम होने लगा है । इस संदेश को भाजपा को समझना होगा । हर राज्य की समस्याएं अलग होती हैं और जनता की पसंद भी अलग होती है । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी कहीं न कहीं हिमाचल में अपना असर दिखा गयी । गुजरात में फ्री हैंड दे दिया जो गलत था । लड़ाई और संघर्ष तो करना चाहिए था । अभी आगे आगे हिमाचल में मुख्यमंत्री का चुनाव शांतिपूर्वक निपट जाये , यह भी चुनौती काग्रेस के सामने है । अगर एकजुटता नहीं दिखायेंगे तो जनता कोसेगी कि पूरे बहुमत दिया और आपस में लड़ने लगे ?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।