अश्विनी जेतली की क्रोनावायरस पर लिखी गई ताज़ा ग़ज़ल
`सिटी एयर न्यूज़' के पाठकों के लिए विशेष
                            ग़ज़ल
रह लोगे अभी कुछ दिन और जो घर में
मिलेंगी बहारें ज़िन्दगी के सफर में 
सब्र से काम लेना है क्रोना को हराना है
हुए जो बेसब्र, कांटें बिछ जायेंगे डगर में 
तू ले यह सोच तेरा इम्तहाँ है ले रहा रब्ब 
घड़ी ऐसी है आई, जीत होनी है सब्र में 
दुआ है बीत जाएं पल, बने जो खौफ सा हैं 
यकीं रखना कि फूल खिलेंगे शहर में 
मेरी तो इल्तिजा उससे यही है 
कोई काँटा ना हो तेरी रहगुज़र में।
                            
                
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