बदलते परिवेश में शिक्षा में तकनीक का समावेश करना जरूरीः प्रो. नसीब सिंह गिल

रोहतक, गिरीश सैनी। 21वीं सदी में शिक्षा केवल तथ्यों का ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को विभिन्न कौशलों से लैस करने की आवश्यकता है, जो उन्हें भविष्य में कामयाबी दिला सकें। ऐसे में आज जरूरत है कि शिक्षक पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को भविष्य की जरूरत के अनुरूप तैयार करें, उनके कौशल में अभिवृद्धि करें। ये उद्गार एमडीयू के डिजिटल लर्निंग सेंटर के निदेशक एवं कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर डॉ. नसीब सिंह गिल ने कुरुक्षेत्र विवि के यूजीसी-एमएमटीटीसी द्वारा संचालित एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम में बतौर रिसोर्स पर्सन व्यक्त किए।
प्रो. नसीब सिंह गिल ने- ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी स्किल्स एंड लाइव डेमो फॉर फ्यूचर टीचिंग-लर्निंग विषय पर विशेष व्याख्यान देते हुए कहा कि आज का युग तकनीकी, सूचना और ज्ञान के तेज विकास का युग है, जिसमें शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आ रहे हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ 21वीं सदी के कौशल देने की चुनौती से निपटने के लिए शिक्षकों को खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में शिक्षा में तकनीकी का समावेश करना होगा। उन्होंने शिक्षण प्रणाली में डिजिटल उपकरणों की महत्ता पर प्रकाश डाला। प्रो. गिल ने लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम को 21वीं सदी के शिक्षा मॉडल का महत्त्वपूर्ण हिस्सा करार दिया। उन्होंने एलएमएस के महत्व बारे जानकारी दी तथा लाइव एलएमएस डेमा देते हुए व्यावहारिक ज्ञान साझा किया। ओपन एक्सेस रिसोर्सेज, वर्चुअल क्लासरूम रिसोर्सेज, मूक्स इत्यादि बारे भी उन्होंने विस्तार से बताया।