गलत जीवनशैली से देश में बढ़ रहा हेड एंड नेक कैंसरः डॉ. राजेश कुमार
रोबोटिक सर्जरी से मिल रहे बेहतर नतीजे।

रोहतक, गिरीश सैनी। गलत जीवनशैली, देर से निदान और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच के परिणामस्वरूप भारत में हेड एंड नेक कैंसर का संकट बढ़ रहा है, जिससे निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है। इस रणनीति का हिस्सा है - रोकथाम पर जोर, जन-जागरूकता में वृद्धि, जांच और स्क्रीनिंग की सुविधा का विस्तार तथा आधुनिक सर्जिकल और रीकंस्ट्रक्शन तकनीकों का उपयोग।
अग्रणी कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार जैन ने बताया कि बहु-आयामी प्रयासों के माध्यम से ही इस बढ़ते खतरे को रोका जा सकता है और मरीजों को लंबी अवधि तक स्वस्थ जीवन का अवसर दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकतर मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैं, जब कैंसर तीसरे या चौथे चरण में पहुंच चुका होता है। ऐसे मामलों में इलाज जटिल हो जाता है और मरीजों की जीवन दर काफी कम हो जाती है।
डॉ. राजेश कुमार जैन ने कहा कि इस संकट की जड़ें मुख्य रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक आदतों तथा जागरूकता की कमी में छिपी हुई हैं। तंबाकू, चाहे वह धूम्रपान के रूप में हो या चबाने के रूप में, अब भी सबसे बड़ा जोखिम कारक है। यदि इसके साथ शराब का सेवन भी हो तो कैंसर विकसित होने की संभावना 35 गुना तक बढ़ जाती है। इसके अलावा, एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) से जुड़े कैंसर भी तेजी से सामने आ रहे हैं। हालांकि ओरल कैंसर में एचपीवी की भूमिका सीमित है, लेकिन लैरिंजियल कैंसर के मामलों में इसका गहरा संबंध देखा गया है।
डॉ. जैन ने बताया कि इस चुनौती से निपटने के लिए रोबोटिक सर्जरी की अत्याधुनिक तकनीकों जैसे रोबोटिक नेक डिसेक्शन और थायरॉयडेक्टॉमी के उपयोग से न केवल बेहतर नतीजे मिलते हैं, बल्कि मरीजों को छोटे या न के बराबर निशान, घावों का जल्दी भरना, लगभग तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी और एडजुटेंट थेरेपी जल्दी शुरू करने का लाभ भी मिलता है। इसी तरह, ट्रांस ओरल लेजर माइक्रोसर्जरी (टीएलएम) और ट्रांस ओरल रोबोटिक सर्जरी (टीओआरएस) जैसी विधियां मुंह के अंदर से ही हाई प्रिसिशन और न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी की सुविधा देती हैं, जिससे बाहरी चीरे की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
उन्होंने बताया कि रीकंस्ट्रक्शन तकनीक में भी तेजी से प्रगति हो रही है। वर्चुअल सर्जिकल प्लानिंग, स्टीरियो लिथोग्राफिक मॉडल, पेशेंट स्पेसिफिक इम्प्लांट और सीएडी/सीएएम तकनीक की मदद से ट्यूमर हटाने के बाद मरीज के लिए व्यक्तिगत हड्डी रीकंस्ट्रक्शन किए जा रहे हैं। रोबोटिक रिकंस्ट्रक्शन और एआई-आधारित नेविगेशन के साथ मिलकर ये तकनीक मरीजों को क्रियात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे रही हैं।