हरित ऊर्जा क्रांति अब एक विकल्प नहीं मजबूरी है

ग्रीन इनर्जी के लिहाज से इलेक्ट्रिक वेहिकल एक बेहतर विकल्प हैं। बैटरी चालित कारों और दोपहिया वाहनों की मांग भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर बढ़ने लगी है।

हरित ऊर्जा क्रांति अब एक विकल्प नहीं मजबूरी है

हमारे पास एक ही धरती है और इसे बचाना ही होगा। विकास के नाम पर बीते दशकों में पृथ्वी और प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ हुई वो बहुत भारी पड़ सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं और दुनिया के सभी देशों को इस ओर ध्यान देना होगा। भारत के लिए आने वाले दस साल चुनौतीपूर्ण लेकिन उम्मीदों से भरे हैं। हमारा देश वर्ष 2030 तक बाकी देशों से आगे निकल जाएगा और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था साबित होगा। नई बात यह है कि ग्लोबल इकोनॉमी के लिहाज से फोकस अब एशिया पर केंद्रित हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि एशिया में दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी रहती है और इसकी जीडीपी दुनिया के बाकी हिस्सों की कुल जीडीपी से आगे निकल गई है। आने वाला समय भारत का है और देश एक महाशक्ति बन कर उभरेगा, ऐसा कहना है रिलाइंस इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी का, जो आगामी समय में ग्रीन इनर्जी को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं।
 
एशिया आर्थिक संवाद में यह तथ्य भी सामने आया कि सबसे बड़ी चुनौती ग्लोबल वार्मिंग की है जो एक वास्तविक खतरा है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि हरित क्रांति को बढ़ावा दिया जाए। ग्रीन इनर्जी की ओर शिफ्ट होना ही होगा। रिलाइंस कंपनी गुजरात में 2030-35 तक करीब 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की सोच रही है। यह निवेश प्रमुख तौर पर ग्रीन इनर्जी के उत्पादन हेतु किया जाएगा। रिलाइंस ने इसके लिए गुजरात सरकार के साथ एक समझौता किया है। कंपनी का कहना है कि वह 100 गीगावाट के रिन्यूएवल इनर्जी पॉवर प्लांट और ग्रीन हाइड्रोजन इको-सिस्टम के विकास पर यह पैसा लगाएगी। इस सुविधा का लाभ लघु व मध्यम स्तर के उद्यमों और नई सोच वाले उद्यमियों को भी मिल सकेगा। इस अक्षय ऊर्जा परियोजना के लिए गुजरात के कच्छ, बनासकंठा और धौलेरा में भूमि की तलाश की जा रही है। इसके लिए कंपनी को करीब साढ़े चार लाख एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। अंबानी तो पहले ही कह चुके हैं कि आने वाले समय में भारत दुनिया की तीन टॉप इकॉनोमी में शुमार होगा, और रिलायंस इंडस्ट्रीज दुनिया की सबसे मजबूत और प्रतिष्ठित भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से एक होगी।
 
ग्रीन इनर्जी के लिहाज से इलेक्ट्रिक वेहिकल एक बेहतर विकल्प हैं। बैटरी चालित कारों और दोपहिया वाहनों की मांग भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर बढ़ने लगी है। अमेरिका, यूरोप, चीन सहित विश्व भर में इलेक्ट्रिक वाहनों खास कर बैटरी चालित कारों की बिक्री में पिछले साल अच्छी खासी वृद्धि हुई। ईवी कारों की बुकिंग इतनी तेजी से हो रही है कि कंपनियां ग्राहकों से पूरी रकम एडवांस तक लेने लगे हैं। इसका मतलब यह भी नहीं कि पेट्रोल डीजल से चलने वाले वाहन चलन से बाहर हो रहे हैं। ऐसा नहीं है, लेकिन हां, ईवी के चाहने वालों की संख्या धीरे धीरे बढ़ने लगी है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि यह साल ईवी की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा। इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी ईवी की सेल बढ़ने को लेकर खासी उत्साहित है। लेकिन इस बड़े बदलाव से सब कुछ अच्छा ही होगा, ऐसा नहीं है। ईवी में कम पुर्जे प्रयोग होते हैं, जिस वजह से पुर्जों के निर्माण में लगे लाखों कामगारों का रोजगार छिन सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)