समाचार विश्लेषण/सरकार, किसान नेता और महिलाएं 

समाचार विश्लेषण/सरकार, किसान नेता और महिलाएं 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
हरियाणा सरकार को अस्थिर करने की डील करने का आरोप लगाया गया है हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चंढ़ूनी पर । इस आरोप के बाद सात सदस्यीय संयुक्त मोर्चा की बैठी हुई और योगेंद्र यादव सामने आए और बताया कि चढ़ूनी ने यह लिखकर दिया है कि वे किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं जायेंगे ।  अब वे केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक में भाग ले सकेंगे । यह आरोप मध्य प्रदेश के किसान नेता शिव कुमार कक्का ने लगाया था और कहा था कि वे खुद बहुत बड़े आढ़तिये हैं । उन पर हरियाणा सरकार गिराने की डील करने का आरोप लगाया था । यह एक प्रकार से आंदोलन और नेताओं को बदनाम करने को साजिश है । पलटवार करते चढ़ूनी ने भी कहा कि कक्का आर एस एस का आदमी है । यही तो केंद्र सरकार चाहती है कि किसान नेताओं में किसी तरह फूट पड़ जाये और वे इस आंदोलन को कमज़ोर कर सके । हरियाण के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी अपना सुर मिलाते कहे कि चढ़ूनी सरकार को अस्थिर करने की सोच रखता है लेकिन वह एक्सपोज हो चुका है । उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी कहा से कि सरकार पूरे पांच साल चलेगी ।

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रैक्टर परेड में किसी प्रकार का दखल देने से इंकार करते कहा कि यह काम पुलिस का है । हमारा नहीं । यह अपना सम्मान बहाल करने जैसा फैसला है । पहले किसानों को प्रदर्शन स्थगित करने से सुप्रीम कोर्ट भी संदेह के बादल मंडराने लगे थे । अब यह सही फैसला दिया । जो काम पुलिस को करना है वह सुप्रीम कोर्ट क्यों करे ? 

बीते कल किसान आंदोलन की कमान महिलाओं के साथ में दी गयी ।  विभिन्न राज्यों में महिलाओं ने शक्ति प्रदर्शन किये और क्रांतिकारी गीत गाये । यह मांग की कि तीनों कृषि कानून वापस ले केंद्र सरकार । हिसार के क्रांतिमान पार्क और फोन प्लाजा के पास महिलाओं ने बड़ी संख्या में इन कानूनों का विरोध किया । इस तरह किसान आंदोलन कल पूरी तरह महिलाओं के हाथों में सौंपा गया यानी महिला शक्ति ने संचालन किया और अपने इरादे जाहिर कर दिये । 

इस बीच तांडव पर विवाद शुरू हुआ और इस पल दो तीन जगह केस दर्ज करवाये गये कि हिंदू देवी देवताओं का इसमें मज़ाक किया गया है । तुरंत अली अब्बास ने माफी मांगी और हाथ जोड़ दिये । 
दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा जरूर 
हर हथेली खून से तर और ज्यादा बेकरार (दुष्यंत कुमार)