हरियाणा की माटी से /भाजपा-जजपा गठबंधन : खतरे की घंटी?

हरियाणा की माटी से /भाजपा-जजपा गठबंधन : खतरे की घंटी?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्या हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन पर कोई संकट है ? क्या भाजपा के प्रदेश प्रभारी विप्लब देब किसी विशेष अभियान पर आये थे ? क्या वे निर्दलीय विधायकों की नब्ज इसलिये टटोल रहे थे कि यदि जजपा से गठबंधन न भी रहे तो वे भाजपा का पहले की तरह साथ देते रहेंगे ? हालांकि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि मैं गठबंधन जोड़ने में लगा हूं जबकि मीडिया तोड़ने में लगा है यानी यह सब मीडिया की उपज है ।बेशक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी दुष्यंत चौटाला की तरह विश्वासपूर्वक कहा कि भापा-जजपा का गठबंधन जारी रहेगा । इसके बावजूद जिस तरह से विपरब देव ने हरियाणा में आते ही कहा कि उचाना से तो उनकी दीदी प्रेमलता ही विधायक बनेंगीं उससे गठबंधन की गांठ ढीली होती लगी । जब जजपा के संरक्षक व पूर्व सांसद अजय चौटाला ने कहा कि किसी के पेट में मरोड़ हो तो हो दुष्यंत चौटाला तो उचाना से ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे ! इस पर विप्लब देब फिर नहीं रुके और बोले कि जजपा ने गठबंधन कर कोई अहसान नहीं किया ! सत्ता का सुख भी भोगा है ! इस तरह यह बहस किसी देवता की पूंछ की तरह लम्बी खिंचने वाली थी कि विराम लग गया ! फिर भी विफ्लब देब का निर्दलियों से मुलाकात करना बहुत कुछ संकेत दे रहा है जो जजपा के लिये  खतरे की घंटी से कम नहीं है ! कहीं विप्लब देब कोई विप्लव ही न कर दें भाजपा-जजपा गठबंधन में ! 
दूसरी ओर जजपा ने चंडीगढ़ में अपने विधायकों की महत्त्वपूर्ण बैठक बुलाई थी जिसमें लोकसभा चुनावों पर विमर्श होना था । उस बैठक में दस में से छह विधायक ही पहुंचे । इनके दो विधायक तो खुलकर विरोध में आ चुके हैं । नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा , नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम , बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग और दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला नहीं आईं । जहां तक रामकुमार गौतम की बात है वे तो चुनाव के बाद से ही मंत्रिमंडल में शामिल न किये जाने से नाराज ही नहीं चल रहे बल्कि तीखी बयानबाजी भी करते आ रहे हैं । अब नरवाना के विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा ने भी कहा कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने नरवाना में विकास की एक ईंट भी नहीं लगाई । यह विकास सिर्फ बैनरों तक सीमित है । जो काम मुख्यमंत्री से मंजूर करवाकर लाते है , उसी का बैनर लगा देते हैं । इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना है ! बरवाला के विधायक जोगीराम सिहाग की सुन लो । कहते हैं कि अपने विधानसभा में पहले से ही मेरे कार्यक्रम तय थे तो कैसे शामिल होता !  इस तरह दो विधायकों की खुली बगावत जजपा के लिये किसी खतरे की घंटी से कम नहीं मानी जा सकती ! 
जजपा ने यह तय किया है कि तीन माह में साठ विधानसभा क्षेत्रों में जजपा की तीन टीमें रैलियां करेंगीं ! इस तरह यह संकेत भाजपा को दे दिया है कि यदि गठबंधन न भी रहा तो लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरी हैं । इस तरह भाजपा-जजपा में शह और मात का खेल चल रहा है ।
दुष्यंत कुमार के शब्दों में : 
आपके कालीन देखेंगे फिर किसी दिन
इस समय तो पांव कीचड़ में फंसे हैं ! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।