समाचार विश्लेषण/निर्भय हो जाओ द्रौपदी 

महिला खिलाड़ी और छेड़छाड़

समाचार विश्लेषण/निर्भय हो जाओ द्रौपदी 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
महिला पहलवान विनेश फौगाट हो या  हरियाणा की महिला कोच या फिर दिल्ली की महिला आयोग की अध्यक्षा इनके आंसुओं को किसने देखा और कितना महसूस किया दिल से ? महिला पहलवान विनेश के आरोपों के जवाब में निर्लज्ज बृज भूषण शरण कह रहे हैं कि मैं मुंह खोलूंगा तो सुनामी आ जायेगी और बेटी विनेश क्या झूठे आंसू बहा रही है ? वह बोली तो भूचाल नहीं आ जायेगा ? और आ भी तो चुका है । सारा देश इस मुद्दे पर विनेश और अन्य महिला पहलवानों के साथ खड़ा है या नहीं ? क्यों जांच के बहाने मामले को लटकाने और भुलाने की कोशिश की जा रही है ?

वैसे महिला खिलाड़ियों से दुराचार पहले भी होता आया है और छेड़छाड़ भी लेकिन जिस तरह से यह मुद्दा महिला पहलवानों ने उठाया उससे यह साबित होता है कि अब पानी सिर से ऊपर हो गया था यानी बर्दाश्त बाहर ! विनेश ने एक साल पहले अपनी मां को बताया जैसा कि महावीर फौगाट कह रहे हैं । आम तौर पर कोई भी बेटी पहले अपनी मां से ही ऐसा दुख सांझा करती है । फिर भी यह दुख कम न हुआ बल्कि बढ़ता ही गया होगा जो उसे जंतर-मंतर पर बैठकर सारे देश को सुनाना पड़ा ! 

वैसे महिला मुक्केबाज मेरिकाॅम भी ऐसी छेड़छाड़ का शिकार हुई हैं लेकिन वे अनजान लोग थे । वैसे यह भी बता दूं कि मेरिकाॅम की ट्रेनिंग हिसार के एचएयू के गिरि सेटर में ही है । अब वही मेरिकाॅम इस जांच समिति की सदस्या भी बनाई गयी हैं । मेरिकाॅम ने एक पत्र अपने जुड़वां बेटों के नाम लिखा था जिसमें प्रशिक्षण के दौरान रिक्शा पर जाते समय हुई छेड़छाड़ का जिक्र किया था ! वे तो विनेश के दर्द को समझ पायेंगीं ! 

इसी तरह एक्ट्रैस मेघना मलिक ने भी एक बार चंडीगढ़ प्रेस क्लब में बताया था कि जब वे सोनीपत में छात्रा थीं और काॅलेज के लिए साइकिल पर जाया करती थीं तब उन्हें भी प्रिसिंपल की बेटी होने के बावजूद राह में  फब्तियां सुननी पड़ती थीं ! ऐसा न केवल महिला खिलाड़ियों को सहना पड़ता है बल्कि एक्ट्रैस भी शिकार होती हैं ।

महिला कोच ने जब से खेलमंत्री संदीप सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला है तब से उसे ही निशाने पर रखा जा रहा है । इसीलिए वे कह रही हैं कि ऐसा लगता है , जैसे मैं ही गुनाहगार हूं । एक महिला अधिकारी कह रही हैं कि जो बाल कलर करवाने वाली लड़कियां हैं इनसे तो दुष्कर्म होना ही चाहिए ! महिला कोच का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री ने मेरी बात तक नहीं सुनी ! उन्हें लग रहा है कि मैं अनर्गल प्रलाप कर रही हूं ! आज तक निष्पक्ष जांच के लिए खेलमंत्री का इस्तीफा तक नहीं लिया गया । कोई कार्यवाही नहीं हो रही । संदीप सिंह मेरा अतीत खंगालने की बात कर रहे हैं पर मेरा चरित्र ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है ।

इसी तरह तीसरा मुद्दा चर्चा में है । दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल का ! रात को महिलाओं की सुरक्षा की जांच करते समय एक कार वाले ने स्वाति को न केवल गंदे इशारे किये बल्कि कार से घसीटा भी ! अब भाजपा सांसद मनोज तिवारी इसे पब्लिसिटी स्टंट कह रहे हैं । यह भी कह रहे हैं कि यह स्टिंग फर्जी है । शाबाश ! यह है पुरुष मानसिकता ! जैसे कभी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने कहा था रेप की घटना पर कि ऐसी छोटी मोटी शरारतें बच्चे करते ही हैं और हमारे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने ऐसी घटनाओं के पीछे युवतियों के छोटे कपड़े पहनने को दोष दिया था ! यह सब पुरुष मानसिकता के उदाहरण कहे जा सकते हैं ! 

क्या महिला को अपने ऊपर हो रहे ऐसे घिनौने दुराचार का मुद्दा सार्वजनिक नहीं करना चाहिए ? यदि करती है तो महिला कोच को मकान मालिक भी अभद्र शब्दों से संबोधित करने लगा है । क्या विनेश , महिला कोच या स्वाति मालामाल के आरोप झूठे हैं ? क्या इनके आसू ग्लैसरीन के आंसू हैं ? क्या इन्हें कोई हक नहीं अपनी बात रखने का ? 

क्या बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले महापुरुष भी ऐसा ही समझते हैं ? क्या इन्हें बेटियों को बचाने आगे नहीं आना चाहिए ? कब तक उनका इंतजार करें ये बेटियां ! 

सच ही कहा रश्मि बजाज ने कि निर्भया हो जाओ द्रौपदी ! बेटियों को निर्भया होने की जरूरत है । क्योंकि कोई कृष्ण इस कलयुग में बचाने नहीं आयेगा । द्रौपदी ! तुम्हें ही निर्भय होना ही पड़ेगा! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।