परंपरा, सृजनशीलता और सौहार्द का संगम बना डीएलसी सुपवा का फाउंडेशन डे समारोह

फैशन शो, हरियाणवी लोकनृत्य और भावपूर्ण रागिनी ने बांधा समां।

परंपरा, सृजनशीलता और सौहार्द का संगम बना डीएलसी सुपवा का फाउंडेशन डे समारोह

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय दादा लख्मीचंद राज्य प्रदर्शन एवं दृश्य कला विवि (डीएलसी सुपवा) की फाउंडेशन डे वीरवार को कला, संस्कृति और परंपरा के भव्य प्रदर्शन के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में मीडिया, साहित्य, सिनेमा, चिकित्सा विज्ञान और सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों के साथ-साथ संकाय सदस्य, विद्यार्थी और पूर्व छात्र शामिल हुए। हरियाणवी परंपरा के अनुसार सभी अतिथियों को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया।

 

कुलपति डॉ. अमित आर्य ने विवि के छात्रों की उपलब्धियों पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि फाउंडेशन डे हमारा सामूहिक दर्पण है - जो हमारी प्रगति, हमारी चुनौतियों और हमारे साझा सपनों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि छात्रों की प्रस्तुतियों ने केवल कलात्मक कौशल ही नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों और सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशीलता भी दिखाई देती है। यही सृजनशीलता, विवेक और सहयोग का संगम डीएलसी सुपवा को विशिष्ट बनाता है। उन्होंने इस वर्ष नवंबर में विवि की एलुमनाई मीट आयोजित किए जाने की घोषणा की।

 

प्रारंभ में कुलसचिव डॉ. गुंजन मलिक मनोचा ने स्वागत संबोधन किया और विवि की स्थापना से अब तक की यात्रा साझा की। उन्होंने अकादमिक नवाचार, रचनात्मक उपलब्धियों और सामुदायिक भागीदारी जैसे पड़ावों का उल्लेख करते हुए कहा कि डीएलसी सुपवा केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि एक जीवंत कैनवास है। उन्होंने इस उत्सव को संस्थान की जीवंतता और सहयोग की भावना का प्रतिबिंब बताया।

 

विशिष्ट अतिथि, प्रमुख पत्रकार और लेखक अनंत विजय ने अपने जीवन अनुभव साझा करते हुए कहा कि कला और मीडिया का एक साझा उद्देश्य है - समाज का प्रतिबिंब दिखाना, जरूरत पड़ने पर उसे चुनौती देना और उसकी कहानियों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना। उन्होंने कहा कि डीएलसी सुपवा जैसे संस्थान उन आवाज़ों और दृष्टिकोणों को पोषित करते हैं, जो कल के सांस्कृतिक परिदृश्य को परिभाषित करेंगे। यहां सिखाए जाने वाले रचनात्मक विषय वास्तविक जीवन में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने परफॉर्मिंग और विज़ुअल आर्ट्स के लिए।

 

विविधता, प्रतिभा और देशभक्ति के संगम इस कार्यक्रम में हरियाणवी लोकनृत्य की थाप से लेकर रवि कुमार द्वारा प्रस्तुत शहीद भगत सिंह पर भावपूर्ण रागिनी तक, हर प्रस्तुति में भावनात्मक गहराई और कलात्मक निखार झलका। विभांशु वैभव द्वारा लिखित एवं निर्देशित 20 मिनट के मार्मिक नाटक ऑपरेशन सिंदूर में 22 छात्रों ने पहलगाम पीड़ितों की व्यथा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।

 

बैंड सुपवा द्वारा देशभक्ति गीतों की मनमोहक प्रस्तुति ने उपस्थित जन का मन मोह लिया। ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’ और ‘ऐ वतन, मेरे वतन’ की जोशीली प्रस्तुति पर पूरा सभागार खड़े होकर झूम उठा। दिल्ली के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर हेमंत केला द्वारा कोरियोग्राफ और श्याम सिंह राजपूत द्वारा स्टाइल किए गए फैशन शो ने शाम की चमक में इजाफा कर दिया। सात थीम राउंड - सस्टेनेबिलिटी एंड इकॉलॉजी, इंडियन हेरिटेज, रेबेलियस बाइकर्स, फेयरी टेल, फ्यूज़न इल्यूज़न, डुअल मोड और मॉडर्न फर्नीचर में विभाजित इस शो को दर्शकों ने ज़ोरदार तालियों से सराहा। सूत्रम नामक डिजाइन के सिद्धांतों का एक केंद्रित अभिव्यक्ति में एकीकरण – इस शो का संचालन निदेशक जनसंपर्क डॉ. बैनुल तोमर, डॉ. मनीषा यादव और डिजाइन फैकल्टी की जिज्ञासा ने किया।