समाचार विश्लेषण: कोरोना की दवा और मंत्रालय खफा/ कमलेश भारतीय 

आरुष मंत्रालय ने मांगा है पतंजलि आयुर्वेद से दवा का पूरा ब्यौरा

समाचार विश्लेषण: कोरोना की दवा और मंत्रालय खफा/ कमलेश भारतीय 
बाबा रामदेव। 

हमारे बाबा रामदेव ने आखिर सहयोगी बालकृष्ण के साथ कोरोना से बचने की दवा लांच कर ही दी लेकिन आरुष मंत्रालय इस लांचिंग से खफा हो गया। सिर्फ पांच घंटे बाद ही इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी गयी। केंद्र सरकार ने कहा कि बिना अनुमति लिए इस तरह इलाज करने का दावा नहीं किया जा सकता जबकि बाबा रामदेव का दावा है कि सात दिन में ही कोरोना का रोगी उनकी दवा से ठीक हो जायेगा। यह भी दावा किया कि पूरा ट्रायल किया जा चुका है और तीन दिन में 69 प्रतिशत कोरोना के रोगी ठीक हो गये। अब दवा जान लीजिए -गर्म पानी के साथ गिलोय, तुलसी व अश्वगंधा का  काढ़ा पीने से कोरोना भाग जायेगा। इस दावे के बावजूद आरुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद से दवा का पूरा ब्यौरा मांगा है। जवाब में ग्यारह पन्ने का मैटर भेजा गया है। अब आयुष मंत्रालय देखेगा कि सच्चाई क्या है? 
  बेशक बाबा रामदेव ने यह दवा कल लांच की है लेकिन यह दवा आम आदमी तक पहले ही प्रचलित हो चुकी है। लोग गिलोय का सेवन कर रहे हैं। कितना फायदा, कितना नुकसान? यह तो मालूम नहीं। गिलोय ढूंढते फिरते हैं। वैसे कहा जा रहा है कि दुकानों पर भी उपलब्ध है गिलोय। आपको याद हो कि जब डेंगू फैला तब भी बाबा रामदेव ने गिलोय पीने का ही सुझाव दिया था। तब से गिलोय चल रही है लोगों के मन में। ऐसा लगता है कि इस बार वृक्षारोपण में गिलोय के पौधे भी रोपे जायेंगे। 
मज़ेदार बात यह कि बाबा रामदेव स्वदेशी का प्रचार करते करते पतंजलि से बिस्कुट से लेकर दंत कांति टुथपेस्ट तक लांच कर अपना टर्न ओवर पांच हजार करोड़ रुपये से दस हजार सेनेटाइजर करोड़ रुपये तक ले जाने की तैयारी में जुटे हैं पिछले कुछ वर्षों से। आपको याद होगा दो मिनट की मैगी के बारे में शुरू हुआ विवाद? तब भी बाबा रामदेव ने बराबर मैगी लाने की बात कही थी। योग को नये सिरे से प्रचारित कर बाबा रामदेव ने पतंजलि आयुर्वेद को पता नहीं किस किस का ब्रांड बना दिया। लगा कि बाबा मुख्य काम से हटकर विज्ञापन और व्यापार में रम गये हैं। टीवी चैनल पर पतंजलि के विज्ञापन और बाबा का योग एक साथ दिखते हैं। आपकी अदालत हो या आज तक या फिर रियल्टी शोज सब जगह बाबा मौजूद। है न कमाल की ब्रांडिंग? बाबा जी, हमें माफ कर देना।कुछ ऐसा वैसा कह दिया हो। आजकल तो आप ऐसा प्रचार कला सीख गये कि बिना सहयोगी बाला के योग भी नहीं सिखाते ....