समाचार विश्लेषण/कांग्रेस का अर्द्ध सत्य: जी 23 समूह 

समाचार विश्लेषण/कांग्रेस का अर्द्ध सत्य: जी 23 समूह 
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
कांग्रेस का यह कैसा समय है कि इसे एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह मिटाने पर तुले हैं और प्रतिदिन भारत का नक्शा लेकर देखते रहते हैं लैंस लगा कर कि कांग्रेस कहां कहां और किस प्रदेश में बच रही है और दूसरी ओर कांग्रेस में शुरू से ही कभी गर्म दल तो कभी नर्म दल और कभी सिंडीकेट तो कभी तुर्क जैसे विरोधी इसे जगाते और झकझोरते रहते हैं । आजकल यह काम जी 23 समूह ने संभाल रखा है । खासतौर से जनवरी में यह जी 23 समूह जम्मू में सक्रिय दिखा जब गुलाबी पगड़ियां बांध कर सामने आए । हालांकि इनमें से जितिन प्रसाद पगड़ी का रंग केसरिया बदलकर भाजपा में शामिल हो गये हैं । बाकी बचे बाइस में से आज वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली भी इससे अलग होने की बात कह रहे हैं । उन्होंने इस समूह को असहमत नेताओं का समूह कहा है यानी जो कांग्रेस हाईकमान की कारगूजारी से असहमत हैं और कांग्रेस में सुधार लाने के पक्षधर हैं । अब मोइली कह रहे हैं कि अगर कोई अब भी इस समूह में रहना चाहता हो तो वह घोर स्वार्थी है और इस समूह का दुरूपयोग किया जा रहा है । मोइली के अनुसार कांग्रेस हाईकमान यानी सोनिया गांधी पहले से ही सुधार प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं । यहां तक कि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल किये जाने का समर्थन भी किया मोइली ने । 
मोइली के अनुसार पार्टी में सुधार लाने और इसके पुनर्निर्माण के लिए यह समूह अस्तित्व में आया था । अब इसका कोई औचित्य नहीं रहा ।  यदि अब भी इसे बनाये रखा जाता है तो यह पार्टी को बरबाद करने के लिए काम करता दिखेगा । अब मोइली जी 23 की अवधारणा को नकार रहे हैं । 
जो भी हो यह कहा जा सकता है कि जी 23 कांग्रेस का अर्द्ध सत्य है । गुलाम नवी आज़ाद के राज्यसभा से सेवानिवृत होते ही यह काम किसने सौंपा ? सब इसे समझ रहे हैं । पार्टी को अभी पंजाब , गुजरात और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों के लिए कमर कसनी है और रणनीति बनानी है लेकिन ये अंतर्विरोध इसे कहां कुछ करने देंगे ।  जहां आप जैसी पार्टी पंजाब की दीवारों को अपने नारे-अबकि बार आपकी सरकार से पाट चुकी है वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू मे वर्चस्व की लड़ाई चल रही है और दिल्ली बिल्कुल खामोश है । हरीश रावत का ध्यान भी अब उत्तराखंड में बंट गया है और वे पंजाब राज्य के प्रभारी का पदभार छोड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं । क्या कांग्रेस हाई कमान एक्शन करने वाली हाई कमान बनेगी या मूक दर्शक ही बनी रहेगी? 
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।