ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने हेतु बैंकों को पहल करनी होगी

ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने हेतु बैंकों को पहल करनी होगी

महामारी के चलते दो वर्षों के नुकसान के बाद, 2022 थोड़ी उम्मीदें जगा रहा है। सामान्य स्थिति लौटने लगी है और आर्थिक गतिविधियां तेजी पकड़ रही हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल रोजमर्रा जीवन और डिजिटल लेनदेन में टैक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ेगा, हालांकि वित्तीय संस्थानों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से आम उपभोक्ताओं की सुरक्षा पक्की करनी होगी। महामारी से पहले, बैंकों के कामकाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का रोल नहीं था। लेकिन लॉकडाउन ने ट्रेंड बदल दिया। ऑनलाइन बैंकिंग और नेट बैंकिंग लोकप्रियता होने लगी। डिजिटल बैंकिंग का अर्थ केवल पेपरलैस या कैशलेस होना नहीं है, बल्कि इसने टैक्नोलॉजी की मदद से लोगों को अधिकतम सुविधा और स्वतंत्रता प्रदान की है। वे दिन गए जब अपने या अन्य किसी के खाते से पैसे निकालने, जमा करने या ट्रांसफर करने के लिए बैंक तक जाना आवश्यक होता था। पेटीएम, गूगलपे और फोनपे जैसे फाइनेंशियल टैक्नोलॉजी (फिनटेक) स्टार्टअप आने के साथ, वित्तीय लेनदेन मात्र कुछ सेकेंड का काम हो गया। लोगों का मोबाइल ही बैंक बन गया। बैंकिंग क्षेत्र में एआई के आने से लेनदेन तेज हुआ है।
 
डॉ. हेमंत गर्ग, नोडल अधिकारी (सोशल मीडिया), अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण, का कहना है कि दुनिया भर में विकेन्द्रीकृत ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित क्रिप्टो मुद्राएं और क्रिप्टो संपत्तियां न सिर्फ विकसित होंगी, बल्कि उसी तरह लोकप्रिय होती जाएंगी जैसे 2015 में सोशल मीडिया विकसित हुआ था। सरकार ब्लॉकचैन सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा) को एकमात्र लीगल टेंडर या ब्लॉकचैन आधारित क्रिप्टोकरेंसी के रूप में जारी करने की प्रक्रिया में है। लेकिन क्रिप्टो असेट्स की बिक्री और खरीद पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाकर, इसने सरकारी राजस्व के लिए टैक्नोलॉजी और इसके लाभकारी ट्रेंड को पहचानने की प्रक्रिया शुरू की है। यह भारत में क्रिप्टो असेट के लेनदेन को मान्यता देने की दिशा में एक कदम है। आने वाले समय में, भारतीय फिनटेक का फोकस क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों की मदद से वित्तीय लेनदेन को सुरक्षित रूप से तेज करने पर होगा। बैंक जैसे वित्तीय संस्थान अब अपने लिए टैक पार्टनर तलाश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी बैंक ने पेटीएम के साथ मिलकर एक विशेष क्रेडिट कार्ड जारी कर दिया।
 
बैंकों और टैक्नोलॉजी फर्मों के संयुक्त उत्पाद फिनटेक की प्रगति के अच्छे संकेत हैं, लेकिन बैंकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। तभी फिनटेक का वास्तविक लाभ आम आदमी को उपलब्ध होगा, ऐसा डॉ. गर्ग का मानना है, जिन्होंने हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कार्यक्रम - इन्फिनिटी फोरम का सफलतापूर्वक प्रबंधन करके भारत को गौरवान्वित किया है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया था और कई बिजनेस लीडर्स ने इसे संबोधित किया था। इनमें रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी, और सॉफ्ट बैंक के सीईओ मसायाशी सॉन सहित दुनिया के कई बड़े दिग्गज शामिल रहे। इन्फिनिटी फोरम 1.0 का आयोजन नीति आयोग, इन्वेस्ट इंडिया, फिक्की और नैसकॉम के सहयोग से किया गया था। एआई-समर्थित फिनटेक समाधान वित्तीय लेनदेन को और बेहतर करेंगे। बहुत कुछ होने वाला है और आने वाले समय में चीजें एक-एक कर सामने आएंगी। हालांकि, मुख्य चिंता वही बनी हुई है कि ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी को कैसे रोका जाए। बैंकों को चाहिए कि डिजिटल फ्रॉड और उनसे बचने के तरीकों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)