बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के बारे में जागरूकता बेहद जरूरी हैः कुलपति प्रो. सुदेश

बीपीएसएमवी में आईपीआर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित।

बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के बारे में जागरूकता बेहद जरूरी हैः कुलपति प्रो. सुदेश

खानपुर कलां, गिरीश सैनी। बौद्धिक संपदा अधिकार पर बहु-विषयक शोध तथा इस विषय पर नवाचार एवं उद्यमिता के जरिए ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की नींव रखने का आह्वान भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो. सुदेश ने मंगलवार को आईपीआर सेल तथा विधि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित - इनोवेशन एंड एक्वीजीशन: आईपीआर रेजिमे एंड इमर्जिंग ट्रेंड्स विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में किया।

कुलपति प्रो. सुदेश ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के बारे में जागरूकता बेहद जरूरी है। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के इस दौर में सरकार नवाचारों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण में तेजी से वृद्धि और भारत में नई संभावनाओं के बनने के साथ, बौद्धिक संपदा वर्तमान युग में प्रमुख धन चालकों में से एक बन गई है। कुलपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत देश अनुसंधान एवं विकास व नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पूर्णतया तैयार है।

कुलपति प्रो. सुदेश ने इस संगोष्ठी आयोजन की सराहना करते हुए आयोजक टीम को बधाई व शुभकामनाएं दी और कहा कि इससे विद्यार्थियों को आईपीआर को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों का सही प्रयोग कर विद्यार्थी अपने शोध व रचनाओं को सुरक्षित कर सकते हैं।

हरियाणा स्टेट काउंसिल फॉर साइंस, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी द्वारा प्रायोजित इस संगोष्ठी में बतौर रिसोर्स पर्सन, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के फार्मास्यूटिकल साइंसेज विभागाध्यक्ष व सेंटर फॉर आईपीआर स्टडीज के निदेशक प्रो. हरीश दूरेजा ने शिरकत की। उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकारों बारे विस्तार से जानकारी दी और आईपीआर नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डाला। वक्ता डॉ राहुल तनेजा ने बौद्धिक संपदा अधिकार के विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की।

प्रारंभ में विधि विभाग की अध्यक्षा डॉ सीमा दहिया ने स्वागत संबोधन किया तथा मुख्य अतिथि एवं वक्ताओं का परिचय दिया। इस संगोष्ठी के कन्वीनर डॉ प्रमोद मलिक ने कार्यक्रम की विषय वस्तु की जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अलका भारती द्वारा किया गया। विभाग की छात्रा रुपल ने मंच संचालन किया। इस दौरान विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।