मैं भी अन्ना के बाद , मैं भी हरजीत 

पत्रकार कमलेश भारतीय की कलम से

मैं भी अन्ना के बाद , मैं भी हरजीत 
कमलेश भारतीय।

कभी दिल्ली में इंडिया अगेंस्ट करपशन के आंदोलन में एक नारा देश भर में गूंज गया था -मैं भी अन्ना ।  गांधी टोपी की ससम्मान वापसी हुई थी जिसे कांग्रेस ने सिर से उतार फेंका था । अपनी पहचान खो दी थी । वही गांधी टोपी मैं भी अन्ना के रूप में ऐसी जबर्दस्त वापस आई कि देश  भर में आंधी सी आ गयी । मैं भी अन्ना , मैं भी अन्ना ही सुनाई देने लगा । देखिए इस टोपी को अरविंद केजरीवाल ले गये-मैं आम आदमी तक । आम आदमी पार्टी की पहचान बन गयी । अब वहां भी बेदखल है । इधर पंजाब पुलिस के सर्वेसर्वा दिनकर गुप्ता ने एक कमाल किया । आपको याद होगा 12 अप्रैल का वह दुखांत ? जब निहंग ने एक पुलिस कर्मचारी द्वारा रोकने पर तलवार से हमला कर उसका हाथ काट दिया था   । वह हिम्मतवाला पुलिस कर्मचारी  हरजीत सिंह था । अभी चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज चल रहा है और डाॅ जैरी व डाॅ आर के शर्मा के इलाज से उसका हाथ दोबारा जुड़ गया और उंगुली हिलने लगी है और हरजीत हौंसला से कह रहा है कि आज ही ड्यूटी ज्वाइन कर लूं । 
इतना हौंसला आया जब दिनकर गुप्ता ने हरजीत के सम्मान में कल एक बैज रिलीज किया-मैं भी हरजीत हूं । खुद भी लगाया । सारी पंजाब पुलिस ने इस बैज को लगाया सम्मान देने के लिए और हरजीत ने भी बहुत भावुक होकर कहा कि ऐसा सम्मान मिलेगा कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा । बहुत बढ़िया पहल दिनकर गुप्ता की । वैसे तो सिंघम और राउडी राठौर जैसी फिल्में पुलिस बल को सम्मान देने के लिए कम नहीं लेकिन असली हीरो तो हरजीत व दिनकर गुप्ता हैं । सीकर की पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने भी थियेटर से जुड़ी होने के चलते ऑनलाइन पांच से सात बजे सेलिब्रेटी से बातचीत शुरू करवा कर सबको बाहर आने से रोकने का उपाय खोज निकाला । है न कमाल ? इसे कहते हैं एक आइडिया जो बदल दे आपकी दुनिया । सच ।इन पुलिस कर्मियों को सैल्यूट । हम भी कलम के सिपाही हैं और अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं । हमारे मित्रों को भी सैल्यूट ।